अव्यय का अर्थ एवं अव्यय की परिभाषा
अव्यय (avyay) का शाब्दिक अर्थ होता हैं- जो व्यय ना हो| अर्थात अव्यय ऐसे शब्दो को कहते हैं, जिसमे लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई प्रभाव नहीं पड़ता| दूसरे शब्दो में जिन पर लिंग, वचन, कारक, पुरुष, काल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता एवं वचन, कारक इत्यादि बदलने पर भी ये ज्यो के त्यों बने रहते हैं, तो ऐसे शब्दो को अव्यय (avyay) शब्द कहते हैं|
अव्यय (avyay) का रूपांतरण नहीं होता हैं, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं| इनका व्यय नहीं होता इसलिए ये अव्यय हैं| अव्यय के उदाहरण– जब, तब, इधर, कब, वाह, तथा, किन्तु, परन्तु, इसलिए इत्यादि|
अव्यय के भेद | अव्यय के प्रकार
अव्यय (avyay) के पांच भेद होते हैं-
- क्रिया विशेषण अव्यय
- सम्बन्धबोधक अव्यय
- समुच्चयबोधक अव्यय
- विस्मयादिबोधक अव्यय
- निपात अव्यय
क्रियाविशेषण अव्यय
जिस शब्द से क्रिया की विशेषता ज्ञात हो उसे क्रिया विशेषण अव्यय (kriya visheshan avyay) कहते हैं| दूसरे शब्दो में क्रिया विशेषण का अर्थ क्रिया के अर्थ की विशेषता प्रकट करना हैं| जैसे- यहाँ, अब, वहॉ, तक, जल्दी इत्यादि| क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण–
- वह यहाँ से चली गई|
- अब काम करना बंद कर दो|
- वे लोग सुबह में पहुंचे|
- वह यहाँ आता हैं|
- सीता सुन्दर लिखती हैं|
क्रिया विशेषण अव्यय के भेद
क्रिया विशेषण को प्रयोग, रूप और अर्थ के अनुसार इसके कई भेद हैं| जैसे- साधारण क्रिया विशेषण अव्यय, संयोजक क्रिया विशेषण अव्यय, अनुबद्ध क्रिया विशेषण अव्यय, मूल क्रिया विशेषण अव्यय, यौगिक क्रिया विशेषण अव्यय, स्थानीय क्रिया विशेषण अव्यय, कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय इत्यादि|
प्रयोग के आधार पर
- साधारण क्रियाविशेषण अव्यय: जिन शब्दो का प्रयोग वाक्यों में स्वतंत्र रूप से किया जाता हैं, उसे साधारण क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं| उदाहरण–
- हाय रब्बा! अब क्या होगा|
- बेटी, जल्दी जाओ| बन्दर कहाँ गया|
- संयोजक क्रियाविशेषण अव्यय: जिन शब्दो का सम्बन्ध किसी उपवाक्य के साथ होता हैं, उसे संयोजक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं| उदाहरण–
- जब मोहिनी ही नहीं, तो में जीकर क्या करूँगा|
- जहाँ अभी जंगल हैं, वहां किसी समय समुद्र था|
- अनुबद्ध क्रियाविशेषण अव्यय: जिन शब्दो का प्रयोग निश्चय के लिए किसी भी शब्द भेद के साथ किया जाता हैं, उसे अनुबद्ध क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं| उदाहरण–
- मैंने उसे देखा तक नहीं|
- आपके आने भर की देर हैं|
- हाय रब्बा! अब क्या होगा|
- बेटी, जल्दी जाओ| बन्दर कहाँ गया|
रूप के आधार पर
- मूल क्रियाविशेषण अव्यय: ऐसे क्रियाविशेषण जो किसी दूसरे शब्दो के मेल से नहीं बनते हैं, उसे मूल क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं| जैसे- ठीक, अचानक, फिर इत्यादि| उदाहरण–
- अचानक से बाढ़ आ गया|
- मै अभी नहीं आया|
- यौगिक क्रियाविशेषण अव्यय: जो शब्द दूसरे शब्द में प्रत्यय या पद जोड़ने से बनते हैं, उसे यौगिक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं| जैसे- मन से, जिससे, भूल से, वहां पर इत्यादि| उदाहरण–
- तुम सुबह तक पहुंच जाना|
- वह शांति से जा रही थी|
- स्थानीय क्रियाविशेषण अव्यय: ऐसे क्रियाविशेषण जो बिना रूपांतरण के किसी स्थान पर आते हैं, उसे स्थानीय क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं| उदाहरण–
- वह अपना सिर पढ़ेगा|
- तुम दौड़कर चलते हो|
अर्थ के आधार पर
- कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय: जिन शब्दो से क्रिया के होने का समय ज्ञात होता हैं, उसे कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं| जैसे- अभी, रातभर, जब, दिनभर, लगातार इत्यादि| उदाहरण–
- वह नित्य जाता हैं|
- राम कल आएगा|
- दिन भर कोहरा होता हैं|
- राधा कल आएगी|
- स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय: जिन शब्दो से क्रिया के होने के स्थान का पता चलता हैं, उसे स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं| जैसे- वहां, पास, दूर, आगे, पीछे इत्यादि| उदाहरण–
- मै कहाँ जाऊ|
- मोहन निचे बैठा हैं|
- वह पीछे चला गया|
- इधर मत जाओ|
- परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय: जिन शब्दो से क्रिया अथवा क्रिया विशेषण का परिमाण ज्ञात होता हैं, उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं| इस अव्यय शब्द से नाप-तौल का पता चलता हैं| जैसे- काफी, ठीक, बहुत, केवल, बस इत्यादि| उदाहरण–
- तुम बहुत घबरा रही हो|
- इतना ही बोलो जितना जरुरी हो|
- मोहन बहुत बोलता हैं|
- रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय: किसी भी वाक्य में वह शब्द जिनसे क्रिया के होने की रीती या विधि का ज्ञान हो, उसे रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं| जैसे- वैसे, इसलिए, ठीक, शायद इत्यादि| उदाहरण–
- जरा, सहज एवं धीरे चलिए|
- हमारे सामने हाथी अचानक आ गया|
- राधा जल्दी से अपने घर चली गई|
संबंधबोधक अव्यय
वह अविकारी शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्दो के साथ मिलकर दूसरे शब्दो से उनका सम्बन्ध बताते हैं, उसे सम्बन्धबोधक अव्यय (sambandhbodhak avyay) कहते हैं| जैसे- भर, कारण, से लेकर, सहित इत्यादि| सम्बन्धबोधक अव्यय के उदाहरण–
- मै कॉलेज तक गया|
- मोहन पूजा से पहले स्नान करता हैं|
- छत पर बन्दर बैठा हैं|
- हॉस्पिटल के पास मेरा घर हैं|
प्रयोग की पुष्टि से संबंधबोधक अव्यय के भेद
प्रयोग की पुष्टि से सम्बन्धबोधक अव्यय के तीन भेद हैं-
- सविभक्तिक: जो अव्यय शब्द विभक्ति के साथ संज्ञा या सर्वनाम के बाद लगते हैं, उसे सविभक्तिक कहते हैं| जैसे- आगे, पीछे, समीप, ओर इत्यादि| उदाहरण–
- हॉस्पिटल के आगे घर हैं|
- पश्चिम की ओर नदी हैं|
- निर्विभक्तिक: जो शब्द विभक्ति के बिना संज्ञा के बाद प्रयोग होते हैं, उसे निर्विभक्तिक कहते हैं| जैसे- तक, समेत, पर्यन्त इत्यादि| उदाहरण–
- वह सुबह तक लौट आया|
- वह परिवार समेत यहाँ आया|
- उभय विभक्ति: जो अव्यय शब्द विभक्ति रहित और विभक्ति सहित दोनों प्रकार से आते हैं, उसे उभय विभक्ति कहते हैं| जैसे- द्वारा, रहित, अनुसार इत्यादि| उदाहरण–
- पत्रों द्वारा चिट्ठी भेजे जाते हैं|
- रीति के अनुसार काम करना|
समुच्चयबोधक अव्यय
दो शब्दो, वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दो को समुच्चयबोधक अव्यय (samuch bodhak avyay) कहते हैं| दूसरे शब्दो में समुच्चयबोधक अव्यय का अर्थ– दो वाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले शब्द से हैं| जैसे- तथा, लेकिन, यदि, अथवा इत्यादि| समुच्चयबोधक अव्यय के उदाहरण–
- राम और श्याम कॉलेज जाते हैं|
- राधा पढ़ती हैं और किट्टू काम करता हैं|
- राम और लक्ष्मण दोनों भाई थे|
समुच्चयबोधक अव्यय के भेद
समुच्चयबोधक अव्यय के तीन भेद हैं-
- संयोजक: वह शब्द जो शब्दो या वाक्यों को जोड़ते हैं, उसे संयोजक कहते हैं| जैसे- की, तथा, और इत्यादि| उदाहरण–
- राम ने चावल खाया और मोहन ने रोटी खाया|
- विभाजक: वह शब्द जिससे विभिन्नता को प्रकट किया जाता हैं, उसे विभाजक कहते हैं| जैसे- या, वा, किन्तु, लेकिन इत्यादि| उदाहरण–
- पेन मिल गया किन्तु पेंसिल नहीं मिला|
- विकल्पसूचक: जिस शब्द से विकल्प का बोध हो, उसे विकल्पसूचक शब्द कहते हैं| जैसे- तो, अथवा या इत्यादि| उदाहरण–
- मेरा पेन किसने लिया प्रियंका ने या निशा ने|
विस्मयादिबोधक अव्यय
जो अविकारी शब्द हमारे मन के हर्ष, शोक, प्रशंसा, विस्मय दुःख, आश्चर्य, लज्जा इत्यादि भावो को व्यक्त करते हैं, उसे विस्मयादिबोधक अव्यय (vismayadibodhak avyay) कहते हैं| इनका सम्बन्ध किसी पद से नहीं होता हैं, इसे घोतक भी कहा जाता हैं| इस अव्यय में ! चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं| जैसे– अरे, ओह, हाय इत्यादि| विस्मयादिबोधक अव्यय के उदाहरण–
- हाय! उसे रोक लो|
- अरे! आप आ गए|
- हे भगवान्! यह क्या हो गया|
निपात अव्यय
जो वाक्य में नवीनता उत्पन्न करते हैं, उसे निपात अव्यय (nipat avyay) कहते हैं| दूसरे शब्दो में निपात अव्यय किसी शब्द या पद के पीछे लगकर उसके अर्थ में विशेष बल लाते हैं| इसे अवधारक भी कहते हैं| जैसे- भी, तो, मात्र, मत, केवल इत्यादि| निपात अव्यय के उदाहरण–
- मोहन भी जायगा|
- खुद तो डूबोगे ही, सब को डुबाओगे|
- सिर्फ घूमने मात्र से ही सब कुछ नहीं मिल जाता|
FAQs
अव्यय किसे कहते हैं उदाहरण सहित जानकारी दे?
अव्यय के कितने प्रकार के होते हैं?
क्या अव्यय (avyay) शब्द हर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं?
यह भी जाने–
संज्ञा क्या है-परिभाषा एवं भेद उदाहरण सहित: 2024-25
क्या वर्ण तथा हिंदी वर्णमाला अलग-अलग होते हैं?
सर्वनाम किसे कहते हैं? इसके भेद एवं सम्पूर्ण जानकारी उदाहरण सहित
विशेषण की परिभाषा एवं इसके भेद उदाहरण सहित 2024-2025
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें–
- Top 5 Best Book for SSC CGL Exam recommended by Experts
- Updated SSC GD Book names 2024-25
- Best seller Hindi Grammar book for all competitive exams and class wise
Social Media Link | |
https://www.facebook.com/profile.php?id=61557041321095 | |
Telegram | https://web.telegram.org/a/#-1002059917209 |