शब्द विचार (shabd vichar) एवं शब्द की परिभाषा तथा भेद
शब्द विचार हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड है, जिसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, भेद, संधि, रूपांतरण इत्यादि से सम्बंधित नियमो पर विचार किया जाता है| दो या दो से अधिक वर्णो से बने ऐसे समूह को जिसका कोई न कोई अर्थ अवश्य हो, उसे शब्द (Shabd) कहते है| अर्थात शब्द वर्णो अथवा अक्षरों का ऐसा समूह है, जिसका कोई अर्थ होता है| जैसे- कोयल, मोबाइल, भैंस, हॉस्पिटल इत्यादि|
कोयल, मोबाइल, भैंस, हॉस्पिटल इन सब शब्दों की रचना दो या दो से अधिक वर्णो के मेल से हुई है| शब्दों की रचना ध्वनि और अर्थ दोनों के मेल से होती है| शब्दों के कई भेद होते है, ये भेद उनकी प्रकृति के अनुरूप होता है| जैसे- अर्थ के आधार पर भेद, प्रयोग के आधार पर भेद, उत्पति के आधार पर भेद और रचना के आधार पर भेद|
शब्द (Shabd) किसे कहते है?
वर्णो या अक्षरों से बना ऐसा स्वतंत्र समूह जिसका कोई अर्थ हो, उसे शब्द कहते है| जैसे- लकड़हारा, घडी, समय इत्यादि| भाषा की न्यूनतम इकाई वाक्य है और वाक्य की न्यूनतम इकाई शब्द है| इन शब्दों की रचना दो या दो से अधिक वर्णो के मेल से हुई है| वर्णो के ये मेल सार्थक होते है, जिनका कोई न कोई अर्थ होता है|
शब्द के भेद या प्रकार
शब्दों (Shabd) के कई भेद होते है और ये भेद उनकी प्रकृति पर निर्भर करता है| सामान्यतः यह चार प्रकार के होते है-
- अर्थ के आधार पर भेद
- प्रयोग के आधार पर भेद
- उत्पति के आधार पर भेद
- रचना के आधार पर भेद
अर्थ के आधार पर भेद
अर्थ के आधार पर यह दो प्रकार के होते है-
सार्थक शब्द
जिस वर्ण समूह का स्पष्ट रूप से कोई अर्थ हो, उसे सार्थक शब्द कहते है| सार्थक शब्दो में वर्ण समूह का कोई न कोई अर्थ होता है| जैसे- लड़का, घर, बहादुर इत्यादि|
निरर्थक शब्द
जिस वर्ण समूह का स्पष्ट रूप से कोई अर्थ न हो, उसे निरर्थक शब्द कहते है| इन शब्दों में वर्ण समूह का कोई अर्थ नहीं होता है| जैसे- वोती, खमस, वॉटरिस इत्यादि|
प्रयोग के आधार पर भेद
प्रयोग के आधार पर यह दो प्रकार के होते है-
विकारी शब्द
जिन शब्दों के रूप में लिंग, संख्या और कारक के अनुसार परिवर्तन का विकार आता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं| जैसे- लिंग– लड़का खेलता है| …. लड़की खेलती है|, वचन– लड़का खेलता है|….लड़के खेलते है|, कारक– लड़का खेलता है|…. लड़के को खेलने दो| विकारी शब्द के चार भेद होते है-
अविकारी शब्द
जिन शब्दों के रूप में लिंग, संख्या और कारक के अनुसार कोई परिवर्तन नहीं होता है, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं| जैसे- धीरे, किन्तु, तेज इत्यादि| इसके चार भेद होते है-
- क्रिया विशेषण (Adverb)
- सम्बंध बोधक (Preposition)
- समुच्चय बोधक (Conjunction)
- विस्मयादि बोधक (Interjection)
उत्पति के आधार पर भेद
उत्पति के आधार पर शब्द चार प्रकार के होते है-
तत्सम शब्द
ऐसे शब्द जिनकी उत्पति संस्कृत भाषा से हुई और वो हिंदी भाषा में बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग में आने लगे, उसे तत्सम शब्द कहते है| जैसे- पुस्तक, कवि, माता, अग्नि इत्यादि|
तद्भव शब्द
ऐसे शब्द जिनकी उत्पति संस्कृत भाषा से हुई और वो रूप बदलकर हिंदी भाषा में आ गए हो, उसे तद्भव शब्द कहते है| जैसे- अग्नि- आग, कार्य- काम, दुग्ध- दूध इत्यादि| इसके दो भेद होते है-
- संस्कृत से आनेवाले
- सीधे प्रकृति से आनेवाले
देशज शब्द
ऐसे शब्द जो भारत की विभिन्न स्थानीय बोलियों में से हिंदी में आ गए है, उन्हें देशज शब्द कहते है| जैसे- लोटा, पगड़ी, खटखटाना इत्यादि|
विदेशी शब्द
ऐसे शब्द जो भारत से बाहर की भाषाओ से है, लेकिन हिंदी में आ गए है, उन्हें विदेशी शब्द कहते है| जैसे- अंग्रेजी– हॉस्पिटल, ट्रक, टिकट इत्यादि|, फ़ारसी– दरोगा, शादी, जहर इत्यादि|, अरबी– कीमत, वकील, मालिक इत्यादि|, तुर्की– तलाश, चाक़ू, तोप इत्यादि|, चाइना– पटाखा, चाय इत्यादि|, पुर्तगाल– साबुन, फालतू , फीता इत्यादि|
रचना या व्युत्पत्ति के आधार पर भेद
रचना के आधार पर यह तीन प्रकार के होते है-
रूढ़
जो शब्द हमेशा किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हो तथा जिनके खंडो का कोई अर्थ न निकले, उन्हें रूढ़ कहते है| अर्थात जिन शब्दों के खंड सार्थक न हो वह शब्द रूढ़ कहलाता हैं| इन शब्दों के खंड होने पर इनका कोई अर्थ नहीं होता है| जैसे- हाथ शब्द का खंडन करने से हा और थ बचेगा जिसका कोई अर्थ नहीं हैं|
यौगिक
ऐसे शब्द जो किसी दो सार्थक शब्दों के मेल से बने हो, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं| इन शब्दों के खंड होने पर इनका अर्थ होता है| जैसे- देवालय: देव + आलय, स्वदेश: स्व + देश इत्यादि|
योगरूढ़
ऐसे शब्द जो किन्ही दो शब्दों के योग से बने हो एवं बनने पर किसी विशेष अर्थ का बोध कराते है, उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते है| जैसे- पंकज: पंक + ज अर्थात कीचड़ में उत्पन्न कमल, दशानन: देश + आनन अर्थात दस मुखो वाला रावण इत्यादि|
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
वे शब्द जो संस्कृत भाषा से उत्पन्न होकर परिवर्तित रूप में हिन्दी भाषा में आये हैं, तद्भव शब्द कहलाते हैं।
तत्सम शब्द के अंतर्गत वे शब्द आते है, जिनकी उत्पति संस्कृत भाषा से हुई और वो हिंदी भाषा में बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग में आने लगे तथा तद्भव शब्द के अंतर्गत वे सभी शब्दे आते है, जिनकी उत्पति संस्कृत भाषा से हुई और वो रूप बदलकर हिंदी भाषा में आ गए हो| यह इनके बिच का मूल अंतर है|
अविकारी शब्द चार प्रकार के होते है-
क्रिया विशेषण (Adverb)
सम्बंध बोधक (Preposition)
समुच्चय बोधक (Conjunction)
विस्मयादि बोधक (Interjection)
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