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kriya in hindi- क्रिया की परिभाषा, क्रिया के भेद उदाहरण सहित सम्पूर्ण जानकारी 2024-25

kriya
kriya

क्रिया की परिभाषा और भेद

वह शब्द जो किसी कार्य के करने या घटित होने का बोध कराता है, उसे क्रिया (kriya) कहते हैं। जैसे- जाना, खाना, लिखना, देखना इत्यादि| प्रत्येक वाक्य क्रिया से ही पूरा होता है| यह किसी कार्य को करने या होने को दर्शाती है| क्रिया को करने वाला ‘कर्ता‘ कहलाता है| क्रिया के कई भेद होते है-

  1. प्रयोग के आधार पर– संयुक्त क्रिया, नामधातु क्रिया, प्रेणार्थक क्रिया और पूर्वकालिक क्रिया|
  2. कर्म की दृष्टि से क्रिया के भेद– सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया|

क्रिया किसे कहते है?

जो शब्द किसी कार्य के होने या करने का संकेत देते हैं, उन्हें क्रिया कहते हैं। जैसे- रोहन लिखता है, सीता गाती है| वाक्य में क्रियाओं का महत्व इतना अधिक है कि यदि कर्ता या अन्य संयोजक का प्रयोग न भी किया जाए तो भी वाक्य का अर्थ क्रिया से ही स्पष्ट हो जाता है। उदाहरण के लिए- भोजन लाना, जाना आदि।

हिंदी भाषा में क्रिया वाक्य के मध्य या अंत में कहीं भी हो सकती है। क्रिया विकारी शब्द है, इस पर लिंग, वचन, कारक, काल, पुरुष इत्यादि का प्रभाव पड़ता है|

क्रिया के भेद

क्रिया (kriya) के कई भेद है| जैसे- संयुक्त क्रिया, नामधातु क्रिया, प्रेणार्थक क्रिया, पूर्वकालिक क्रिया, सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया| क्रिया का भेद इस बात पर निर्भर करता है, कि इसे प्रयोग के आधार पर विभाजित किया जा रहा है, या फिर कर्म के दृष्टि के आधार पर| आगे आप इसका विस्तृत जानकारी जानेंगे| जहाँ पर इसका पूरा जानकारी दिया गया है|

क्रिया के उदाहरण

क्रिया के निम्न उदाहरण है-

क्रिया के प्रकार

क्रिया (kriya) के प्रकार कई बातों पर निर्भर करता है| जैसे- प्रयोग के आधार पर और कर्म के दृष्टि के आधार पर| निचे इसका जानकारी दिया गया है-

प्रयोग के आधार पर क्रिया के प्रकार या भेद

प्रयोग या रचना के आधार पर क्रिया (kriya) के चार भेद होते है-

संयुक्त क्रिया

जो क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनती है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। अर्थात जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ मिलकर एक पूर्ण क्रिया का बोध कराती हैं, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं। इसमें वाक्यों में एक से अधिक क्रियाएँ होते हैं। यहाँ ये सभी क्रियाएँ मिलकर एक ही कार्य को पूरा कर रही हैं। इसलिए ये संयुक्त क्रियाएँ हैं। उदाहरण के लिए- रोशन घर से लौट आया, तौहीद रोने लगा।

संयुक्त क्रिया के प्रकार

संयुक्त क्रिया के मुख्य 11 भाग है-

  1. आरम्भबोधक
  2. समाप्तिबोधक
  3. अवकाशबोधक
  4. अनुमतिबोधक
  5. नित्यताबोधक
  6. आवश्यकताबोधक
  7. निश्चयबोधक
  8. इच्छाबोधक
  9. अभ्यासबोधक
  10. शक्तिबोधक
  11. पुनरुक्त संयुक्त क्रिया

नामधातु क्रिया

क्रिया को छोड़कर दूसरे शब्दों (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण इत्यादि|) से जो धातु बनते है, उसे नामधातु क्रिया कहते है| उदाहरण के लिए-लुटेरों ने जमीन हथिया ली| हमें गरीबो को अपनाना चाहिए|

प्रेणार्थक क्रिया

जब कर्ता किसी कार्य को स्वयं न करके किसी दूसरे को कार्य करने की प्रेरणा दे, तो उस क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहते है| उदाहरण के लिए- लिखना से लिखवाना, करना से करवाना|

प्रेणार्थक क्रिया के प्रकार

प्रेणार्थक क्रिया के 2 प्रकार होते है-

  1. प्रथम प्रेणार्थक क्रिया
  2. द्रितीय प्रेणार्थक क्रिया

पूर्वकालिक क्रिया

जब कोई कर्ता एक क्रिया समाप्त करके दूसरी क्रिया करता है, तब पहली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाता है| उदाहरण के लिए-वह खाना खा कर सो गया, श्याम ने घर पहुंचकर फ़ोन किया|

कर्म के दृष्टि के आधार पर क्रिया के प्रकार या भेद

कर्म के दृष्टि के आधार पर क्रिया के दो भेद होते है- सकर्मक और अकर्मक क्रिया|

सकर्मक क्रिया

जब वाक्य में क्रिया के साथ- साथ कर्म भी हो, तो उसे सकर्मक क्रिया कहते है| अर्थात जिस क्रिया का फल कर्म पर पड़े उसे सकर्मक क्रिया कहते है| उदाहरण के लिए- राधा गाना गाती है|, अध्यापक पुस्तक पढ़ा रहे है|

सकर्मक क्रिया के प्रकार

सकर्मक क्रिया 2 प्रकार के होते है-

  1. एककर्मक क्रिया
  2. द्रिकर्मक क्रिया

अकर्मक क्रिया

वाक्य में जब क्रिया के साथ कर्म नहीं होता है, तो उस क्रिया को अकर्मक क्रिया कहते है| अर्थात जिस वाक्य में क्रिया के साथ कर्म नहीं होता है, वह अकर्मक क्रिया कहलाता है| उदाहरण के लिए- राम पढता है|, गीता जाती है|

FAQs

क्रिया शब्द का अर्थ क्या है?

क्रिया (kriya) शब्द का अर्थ ‘करना’ होता है

प्रेणार्थक क्रिया के कितने भेद होते है?

प्रेणार्थक क्रिया के दो भेद है- प्रथम प्रेणार्थक क्रिया और द्रितीय प्रेणार्थक क्रिया|

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