मुहावरा किसे कहते हैं?
जब कोई शब्द- समूह या पद निरंतर अभ्यास के कारण सामान्य अर्थ न देकर विशेष अर्थ देने लगे, उसे मुहावरा (Muhavare) कहते हैं| मुहावरे का अर्थ अभ्यास होता हैं| मुहावरा अरबी भाषा का एक शब्द हैं, जिसका अर्थ होता है बात- चीत करना या फिर उत्तर देना|
दूसरे शब्दों में, मुहावरा भाषा विशेष में प्रचलित उस अभिव्यक्तिक इकाई को कहते हैं, जिसका प्रयोग प्रत्यक्षार्थ से अलग रूढ़ लक्ष्यार्थ के लिए किया जाता है| हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुंदर, संक्षिप्त तथा सरल बनाने के लिए किया जाता है|
ये वाक्यांश होते हैं| इनका प्रयोग करते समय इनका शाब्दिक अर्थ न लेकर विशेष अर्थ लिया जाता है| इनके विशेष अर्थ कभी नहीं बदलते हैं| ये सदैव एक से रहते हैं| मुहावरे लिंग, वचन और क्रिया के अनुसार वाक्यों में प्रयुक्त होते हैं|
हिंदी मुहावरे की विशेषताएँ
इसकी कई विशेषताएँ होती हैं, जिन्हे ध्यान में रखना आवश्यक हैं|
- मुहावरे का प्रयोग वाक्य के प्रसंग में होता है, स्वतंत्र वाक्य के रूप में नहीं|
- मुहावरा अपना असली रूप कभी नही बदलता अर्थात उसे पर्यायवाची शब्दों में अनूदित नही किया जा सकता हैं|
- मुहावरे का शब्दार्थ न लेकर उसका सांकेतिक या लाक्षणिक अर्थ ग्रहण किया जाता हैं|
- मुहावरे वाक्यांश के रूप में प्रयुक्त होते हैं, स्वतंत्र वाक्य के रूप में नहीं|
- हिंदी के ज्यादातर मुहावरों का सीधा सम्बन्ध शरीर के भिन्न- भिन्न अंगो से हैं|
- मुहावरे का शब्दार्थ नहीं, उसका अवबोधक अर्थ ही ग्रहण किया जाता है; जैसे- ‘खिचड़ी पकाना’|
- मुहावरा का अर्थ प्रसंग के अनुसार होता है। जैसे- ‘लड़ाई में खेत आना’ । इसका अर्थ ‘युद्ध में शहीद हो जाना’ है, न कि लड़ाई के स्थान पर किसी ‘खेत’ का चला आना।
- मुहावरे भाषा की समृद्धि और सभ्यता के विकास के मापक है|
- समाज और देश की तरह मुहावरे भी बनते-बिगड़ते हैं। नये समाज के साथ नये मुहावरे बनते है|
मुहावरों के भेद
मुहावरों को कई आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है-
- सादृश्य पर आधारित
- शारीरिक अंगों पर आधारित
- असंभव स्थितियों पर आधारित
- कथाओं पर आधारित
- प्रतीकों पर आधारित
- घटनाओं पर आधारित
सादृश्य पर आधारित मुहावरे
बहुत से मुहावरे सादृश्य या समानता पर आधारित होते हैं| जैसे- पापड़ बेलना, दाल न गलना, सोने पर सुहागा, चूड़ियाँ पहनना, कुंदन-सा चमकना आदि।
शारीरिक अंगों पर आधारित मुहावरे
शारीरिक अंगों के अंतर्गत लोगो द्वारा कई मुहावरों का उपयोग किया जाता हैं| जैसे-
- आँखें चुराना
- कलेजा मुँह को आना
- तलवे चाटना
- नाक रगड़ना
- अँगूठा दिखाना
- उँगली उठाना
- कमर टूटना
- पीठ दिखाना इत्यादि|
असंभव स्थितियों पर आधारित मुहावरे
इस तरह के मुहावरों में वाच्यार्थ के स्तर पर इस तरह की स्थितियाँ दिखाई देती हैं जो असंभव प्रतीत होती हैं| जैसे- हथेली पर सरसों जमाना, दिन में तारे दिखाई देना, जमीन आसमान एक करना, हवाई किले बनाना, पानी में आग लगाना, पत्थर का कलेजा होना आदि| जैसे-
- हथेली पर सरसों जमाना
- दिन में तारे दिखाई देना
- जमीन आसमान एक करना
- हवाई किले बनाना
- पानी में आग लगाना
- पत्थर का कलेजा होना आदि|
कथाओं पर आधारित मुहावरे
कुछ मुहावरों का जन्म लोक में प्रचलित कुछ कथा-कहानियों से होता हैं| जैसे-
- रँगा सियार होना
- दुम दबाकर भागना
- टेढ़ी खीर होना
- एक और एक ग्यारह होना
- हाथों-हाथ बिक जाना
- काठ में पाँव देना
- साँप को दूध पिलाना आदि|
प्रतीकों पर आधारित मुहावरे
कुछ मुहावरे प्रतीकों पर आधारित होते हैं| जैसे- एक ही थैले के चट्टे-बट्टे होना, एक आँख से देखना, एक ही लकड़ी से हाँकना, तीनों मुहावरों में प्रयुक्त ‘एक’ शब्द ‘समानता’ का प्रतीक है| इसी तरह से डेढ़ पसली का होना, ढाई चावल की खीर पकाना, ढाई दिन की बादशाहत होना, में डेढ़ तथा ढाई शब्द ‘नगण्यता’ के प्रतीक है|
घटनाओं पर आधारित मुहावरे
कुछ मुहावरों के मूल में कोई घटना भी रहती है| जैसे-
- ऊपर की आमदनी
- गड़े मुर्दे उखाड़ना
- काँटा निकालना
- काँव-काँव करना इत्यादि|
मुहावरे का अर्थ और वाक्य | वर्णमाला के अनुसार मुहावरे
आपको इस लेख के माध्यम से अ से लेकर औ तक और क से लेकर त्र तक के मुहावरों के अर्थ (muhavare ka arth) और वाक्य की पूरी जानकारी दी जायगी| निचे इसका पूरा विवरण दिया गया हैं|
अ से शुरू होने वाले मुहावरे
- अंग टूटना (थकान का दर्द) इतना काम करना पड़ा कि आज अंग टूट रहे है।
- अपना किया पाना (कर्म का फल भोगना)- बेहूदों को जब मुँह लगाया है, तो अपना किया पाओ। झखते क्या हो ?
- अपने पैरों पर खड़ा होना (स्वालंबी होना)- युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।
- अक्ल का दुश्मन (मूर्ख) राम तुम मेरी बात क्यों नहीं मानते, लगता है आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो।
- अपना उल्लू सीधा करना (मतलब निकालना)- आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।
- अपना-सा मुँह लेकर रह जाना (शर्मिन्दा होना)- आज मैंने ऐसी चुभती बात कही कि वे अपना-सा मुँह लिए रह गये।
- अपने मुँह मियाँ मिट्टू बनना (स्वयं अपनी प्रशंसा करना)- अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्टू बनना शोभा नहीं देता।
- अक्ल का चरने जाना (समझ का अभाव होना)- इतना भी समझ नहीं सके, क्या अक्ल चरने गए है?
- अत्र-जल करना (जलपान, नाराजगी आदि के कारण निराहार के बाद आहार-ग्रहण)- भाई, बहुत दिनों पर आये हो। अत्र-जल तो करते जाओ।
- अत्र लगना (स्वस्थ रहना) – उसे ससुराल का ही अत्र लगता है। इसलिए तो वह वहीं का हो गया।अपनी खिचड़ी अलग पकाना (स्वार्थी होना, अलग रहना)- यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगें, तो देश और समाज की उत्रति होने से रही।
आ से शुरू होने वाले मुहावरे
- आँतों में बल पड़ना (पेट में दर्द होना) रात की पूड़ियाँ खाकर मेरी आँतों में बल पड़ गए।
- आकाश छूना (बहुत तरक्की करना) – राखी एक दिन अवश्य आकाश चूमेगी
- आकाश-पाताल एक करना (अत्यधिक उद्योग/परिश्रम करना)- सूरज ने इंजीनियर पास करने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया।
- आकाश-पाताल का अंतर होना (बहुत अधिक अंतर होना)- कहाँ मैं और कहाँ वह मूर्ख, हम दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है।
- आँचल पसारना (प्रार्थना करना या किसी से कुछ माँगना) – मैं ईश्वर से आँचल पसारकर यही माँगता हूँ कि तुम कक्षा में उत्तीर्ण हो जाओ।
- आग से खेलना (खतरनाक काम करना) – मित्र, तस्करी करना बंद कर दो, तुम क्यों आग से खेल रहे हो?
- आग हो जाना (अत्यन्त क्रोधित हो जाना)- सुनिल के स्वभाव से सब परिचित हैं, वह एक ही पल में आग हो जाता हैं।
- आँच आना (हानि या कष्ट पहुँचना)- जब माँ साथ हैं तो बच्चे को भला कैसे आँच आएगी।
- आग लगाकर तमाशा देखना (दूसरों में झगड़ा कराके अलग हो जाना)- वह तो आग लगाकर तमाशा देखने वाला हैं, वह तुम्हारी क्या मदद करेगा।
- आटे-दाल का भाव मालूम होना (दुनियादारी का ज्ञान होना या कटु परिस्थिति का अनुभव होना)- जब पिता की मृत्यु हो गई तो राकेश को आटे-दाल का भाव मालूम हो गया।
इ से शुरू होने वाले मुहावरे
- इस कान सुनना, उस कान निकालना (ध्यान न देना) – उसकी बेकार की बातों को तो मैं इस कान सुनता हूँ, उस कान निकाल देता हूँ।
- इधर-उधर की हाँकना (बेकार की बातें करना या गप मारना)- वह हमेशा इधर-उधर की हाँकता रहता हैं, कभी बैठकर पढ़ता नहीं।
- इंद्र का अखाड़ा (किसी सजी हुई सभा में खूब नाच-रंग होता है)- पहले जमाने में राजा-महाराजाओं के यहाँ इंद्र का अखाड़ा सजता था और आजकल दागी नेताओं के यहाँ।
- इंतकाल होना (मर जाना)- पिता के इंतकाल के बाद सारे घर की जिम्मेदारी अब फारुख के कंधों पर ही है।
- इस हाथ देना, उस हाथ लेना (तुरन्त फल मिलना)- रामदीन तो इस हाथ दे, उस हाथ ले में विश्वास करता हैं।
- इंद्र की परी (बहुत सुन्दर स्त्री)- राधा तो इंद्र की परी हैं, वह तो विश्व सुन्दरी बनेगी।
- इज्जत उतारना (अपमानित करना) जब चीनी लेकर पैसे नहीं दिए तो दुकानदार ने ग्राहक की इज्जत उतार दी।
- इज्जत मिट्टी में मिलाना (प्रतिष्ठा या सम्मान नष्ट करना) – रामू की शराब की आदत ने उसके परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला दी हैं।
- इधर-उधर की लगाना या इधर की उधर लगाना (चुगली करना) – मित्र, इधर-उधर की लगाना छोड़ दो, बुरी बात हैं।
- इशारे पर नाचना (वश में हो जाना)- जो व्यक्ति अपनी पत्नी के इशारे पर नाचता है वह अपने माँ-बाप की कहाँ सुनेगा।
ई से शुरू होने वाले मुहावरे
- ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना) – तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देते, तुम्हे देखने को तरस गया, ऐसा लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो|
- ईंट से ईंट बजाना (युद्धात्मक विनाश लाना)- शुरू में तो हिटलर ने यूरोप में ईट-से-ईट बजा छोड़ी, मगर बाद में खुद उसकी ईंटे बजनी लगी|
- ईंट का जबाब पत्थर से देना (जबरदस्त बदला लेना)- भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा|
- ईमान बेचना (बेईमानी करना)- मित्र, ईमान बेचने से कुछ नहीं होगा, परिश्रम करके खाओ|
उ से शुरू होने वाले मुहावरे
- उन्नीस बीस का अंतर होना (थोड़ा-सा अन्तर)- रामू और मोहन की सूरत में बस उन्नीस-बीस का अन्तर हैं।
- उठ जाना (मर जाना)- जो भले लोग होते हैं उनके उठ जाने के बाद भी दुनिया उन्हें याद करती है।
- उबल पड़ना (एकाएक क्रोधित होना)- दादी माँ से सब बच्चे डरते हैं, पता नहीं वे कब उबल पड़ें।
- उलटी माला फेरना (बुराई या अनिष्ट चाहना)- जब आयुष को रमेश ने चाँटा मारा तो वह उल्टी माला फेरने लगा।
- उलटी गंगा बहाना (अनहोनी या लीक से हटकर बात करना)- अमित हमेशा उल्टी गंगा बहाता हैं कह रहा था कि वह हाथों के बल चलकर स्कूल जाएगा।
- उँगली उठाना (बदनाम करना या दोषारोपण करना) – किसी पर खाहमखाह उँगली उठाना गलत हैं।
- उधेड़बुन में पड़ना या रहना (फिक्र या चिन्ता करना)- रामू को जब देखो, पैसों की उधेड़बुन में लगा रहता हैं।
- उल्लू सीधा करना (अपना स्वार्थ सिद्ध करना)- मुझे ज्ञात हैं, तुम यहाँ अपना उल्लू सीधा करने आए हो|
- उँगलियों पर नचाना (वश में करना)- इब्राहीम की पत्नी तो उसे अपनी उँगलियों पर नचाती है|
- उगल देना (भेद प्रकट कर देना)- जब पुलिस के डंडे पड़े तो उस चोर ने सब कुछ सच-सच उगल दिया।
ऊँ से शुरू होने वाले मुहावरे
- ऊँच-नीच समझना (भलाई-बुराई की समझ होना)- दूसरों को राय देने से पहले तुम्हें ऊँच-नीच समझ लेनी चाहिए।
- ऊँच-नीच समझाना (भलाई-बुराई के बारे में बताना)- माँ ने पुत्री ममता को ऊँच-नीच समझाकर ही पिकनिक पर जाने दिया।
- ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना (बेमेल काम करना) – कम उम्र की लड़की का अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ विवाह करना ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना हैं।
- ऊँचा सुनना (कुछ बहरा होना)- जरा जोर से बोलिए, मेरे पिताजी थोड़ा ऊँचा सुनते हैं।
- ऊपर की आमदनी (नियमित स्रोत से न होने वाली आय)- पुलिस की नौकरी में तनख्वाह भले ही कम हो पर ऊपर की आमदनी का तो कोई हिसाब ही नहीं हैं।
- ऊपरी मन से कहना / करना (दिखावे के लिए कहना/करना)- वह हमेशा ऊपरी मन से खाना खाने के लिए पूछती थी और मैं हमेशा मना कर देता था।
- ऊँट के मुँह में जीरा (अधिक आवश्यकता वाले के लिए थोड़ा सामान) – पेटू रामदीन के लिए दो रोटी तो ऊँट के मुँह में जीरा हैं।
- ऊल-जलूल बकना (अंट-शंट बोलना) वह तो यूँ ही ऊल- जलूल बकता रहता हैं, उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं देता।
- ऊसर में बीज बोना या डालना (व्यर्थ कार्य करना)- मैंने कौशिक से कहा कि अपने घर में दुकान खोलना तो ऊसर में बीज डालना हैं, कोई और स्थान देखो।
ए से शुरू होने वाले मुहावरे
- एक ही नाव में सवार होना (एक जैसी परिस्थिति में होना)- देखते हैं आतंकवादी क्या करते हैं इस होटल में हम सब एक ही नाव में सवार हैं। अब जो होगा, सबके साथ होगा।
- एड़ियाँ घिसना या रगड़ना (बहुत दिनों से बीमार या परेशान होना)- रामू एक महीने से एड़ियाँ घिस रहा हैं, फिर भी उसे नौकरी नहीं मिली।
- एक तीर से दो शिकार करना (एक साधन से दो काम करना)- रवि एक तीर से दो शिकार करने में माहिर हैं।
- एक से इक्कीस होना (उन्नति करना) – सेठ जी की दुकान चल पड़ी हैं, अब तो शीघ्र ही एक से इक्कीस हो जाएँगे।
- एक ही थैली के चट्टे-बट्टे (एक जैसे स्वभाव के लोग)- उस कक्षा में तो सब बच्चे एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं- सबके सब ऊधम मचाने वाले।
- एक आँख से सबको देखना (सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना)- अध्यापक विद्यालय में सब बच्चों को एक आँख से देखते हैं।
- एँड़ी-चोटी का पसीना एक करना (खूब परिश्रम करना)- दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए सीमा ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।
- एक और एक ग्यारह होना (आपस में संगठित होकर शक्तिशाली होना) – राजू और रामू पुनः मित्रता करके एक और एक ग्यारह हो गए हैं।
- एक लाठी से सबको हाँकना (उचित-अनुचित का बिना विचार किये व्यवहार)- समानता का अर्थ एक लाठी से सबको हाँकना नहीं है, बल्कि सबको समान अवसर और जीवन-मूल्य देना है।
- एक आँख न भाना (बिल्कुल अच्छा न लगना)- राजेश का खाली बैठना उसके पिताजी को एक आँख नहीं भाता।
ऐ से शुरू होने वाले मुहावरे
- ऐरा-गैरा नत्थू खैरा (मामूली व्यक्ति)- सेठजी ऐरे-गैरे नत्थू खैरे से बात नहीं करते…
- ऐसी की तैसी करना/होना (अपमान करना/होना)- वह गया तो था मदन को धमकाने पर उलटे ऐसी की तैसी करा के लौट आया|
- ऐसा-वैसा (साधारण, तुच्छ)- राजू ऐसा-वैसा नहीं हैं, वह लखपति हैं और वकील भी हैं।
- ऐंठना (किसी पर) (अकड़ना, क्रोध करना)- मुझ पर मत ऐंठना, मैं किसी की ऐंठ बर्दाश्त नहीं कर सकता।
ओ से शुरू होने वाले मुहावरे
- ओर छोर न मिलना (रहस्य का पता न चलना)- रोहन विचित्र आदमी हैं, उसकी योजनाओं का कुछ ओर-छोर नहीं मिलता|
- ओखली में सिर देना (जान-बूझकर परेशानी में फँसना) – कल बदमाशों से उलझकर केशव ने ओखली में सिर दे दिया|
औ से शुरू होने वाले मुहावरे
- औने-पौने निकालना या बेचना (कोई वस्तु बहुत कम पैसों में बेचना)- वह अपना मकान औने-पौने में निकाल रहा हैं, पर कोई ग्राहक नहीं मिल रहा|
- औंधी खोपड़ी (उलटी बुद्धि) मुन्ना तो औंधी खोपड़ी का हैं, उससे क्या बात करना।
- औंधे मुँह गिरना (बुरी तरह धोखा खाना)- साझेदारी में काम करके रामू औंधे मुँह गिरा हैं।
- औने के पौने करना (खरीद-फरोख्त में पैसे बचाना या चुराना)- अभिषेक बहुत सीधा लड़का हैं, वह औने-पौने करना नहीं जानता।
- और का और होना (विशिष्ट परिवर्तन होना)- घर में सौतेली माँ के आते ही अनिल के पिताजी और के और हो गए|
क से शुरू होने वाले मुहावरे
- ककड़ी-खीरा समझना (तुच्छ या बेकार समझना) – क्या तुमने मुझे ककड़ी-खीरा समझ रखा हैं, जो हर समय डाँटते रहते हो।
- कचूमर निकालना (खूब पीटना)- बस में लोगों ने जेबकतरे का कचूमर निकाल दिया।
- कतरनी-सी जबान चलना (बहुत बोलना (अधिकांशत : उल्टा-सीधा बोलना)- अनुपम की कतरनी सी जबान चलती हैं तभी उससे कोई नहीं बोलता।
- कदम उखड़ना (अपनी हार मान लेना या भाग जाना)- पुलिस का सायरन सुनते ही चोरों के कदम उखड़ गए।
- कदम पर कदम रखना (अनुकरण करना) – महापुरुषों के कदम पर कदम रखना अच्छी आदत हैं।
- किस खेत की मूली (अधिकारहीन, शक्तिहीन)- मेरे सामने तो बड़ों-बड़ों को झुकना पड़ा है। तुम किस खेत की मूली हो ?
- कफ़न को कौड़ी न होना (बहुत गरीब होना)- राजू बातें तो राजाओं की-सी करता हैं, पर कफ़न को कौड़ी नहीं हैं।
- कफ़न सिर से बाँधना (लड़ने-मरने के लिए तैयार होना)- हमारे सैनिक सिर से कफ़न बाँधकर ही देश की रक्षा करते हैं।
- कंठ का हार होना (बहुत प्रिय होना)- राजू अपनी दादी का कंठ का हार हैं, वह उसका बहुत ख्याल रखती हैं।
- कंपकंपी छूटना (डर से शरीर काँपना) – ताज होटल में आतंकवादियों को देखकर मेरी कंपकंपी छूट गई।
ख से शुरू होने वाले मुहावरे
- खा-पी डालना (खर्च कर डालना) उसने अपना पूरा वेतन यार-दोस्तों में खा-पी डाला, अब उधार माँग रहा हैं।
- खाई से निकलकर खंदक में कूदना (एक परेशानी या मुसीबत से निकलकर दूसरी में जाना)- मुझे ज्ञात नहीं था कि मैं खाई से निकलकर खंदक में कूदने जा रहा हूँ।
- खाक फाँकना (मारा-मारा फिरना)- पहले तो उसने नौकरी छोड़ दी, अब नौकरी की तलाश में खाक फाँक रहा हैं।
- खाक में मिलना (सब कुछ नष्ट हो जाना)- बाढ़ आने पर उसका सब कुछ खाक में मिल गया।
- खाना न पचना (बेचैन या परेशान होना)- जब तक श्यामा अपने मन की बात मुझे बताएगी नहीं, उसका खाना नहीं पचेगा।
- खीरे-ककड़ी की तरह काटना (अंधाधुंध मारना-काटना)- 1857 की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को खीरे-ककड़ी की तरह काट दिया था।
- खुदा-खुदा करके (बहुत मुश्किल से) रामू खुदा-खुदा करके दसवीं में उत्तीर्ण हुआ हैं।
- खुशामदी टट्टू (खुशामद करने वाला)- वह तो खुशामदी टट्टू हैं, खुशामद करके अपना काम निकाल लेता हैं।
- खोपड़ी गंजी करना (बहुत मारना-पीटना)- लोगों ने मार-मार कर चोर की खोपड़ी गंजी कर दी।
- खोपड़ी पर लादना (किसी के जिम्मे जबरन काम मढ़ना)- अधिकतर कर्मचारियों के छुट्टी पर जाने के कारण एक या दो कर्मचारियों की खोपड़ी पर काम लादना पड़ा|
ग से शुरू होने वाले मुहावरे
- गूलर का फूल होना (लापता होना)- वह तो ऐसा गूलर का फूल हो गया है कि उसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है।
- गला फाड़ना (जोर से चिल्लाना)- राजू कब से गला फाड़ रहा है कि चाय पिला दो, पर कोई सुनता ही नहीं।
- गुदड़ी का लाल (गरीब के घर में गुणवान का उत्पत्र होना)- अपने वंश में प्रेमचन्द सचमुच गुदड़ी के लाल थे।
- गला फँसाना (मुसीबत में फँसाना) अपराध उसने किया हैं और गला मेरा फँसा दिया हैं। बहुत चतुर है वो !
- गिन-गिनकर पैर रखना (सुस्त चलना, हद से ज्यादा सावधानी बरतना) – माना कि थक गये हो, मगर गिन-गिनकर पैर क्या रख रहे हो ? शाम के पहले घर पहुँचना है या नहीं ?
- गुस्सा पीना (क्रोध दबाना)- गुस्सा पीकर रह गया। चाचा का वह मुँहलगा न होता, तो उसकी गत बना छोड़ता।
- गले पड़ना (पीछे पड़ना)- मैंने उसे एक बार पैसे उधार क्या दे दिए, वह तो गले ही पड़ गया।
- गले पर छुरी चलाना (अत्यधिक हानि पहुँचाना) – उसने मुझे नौकरी से बेदखल करा के मेरे गले पर छुरी चला दी।
- गला काटना (किसी की ठगना)- कल अध्यापक ने बताया कि किसी का गला काटना बुरी बात हैं।
- गला पकड़ना (किसी को जिम्मेदार ठहराना)- गलती चाहे किसी की हो, पिताजी मेरा ही गला पकड़ते हैं।
घ से शुरू होने वाले मुहावरे
- घात लगाना (मौका ताकना) वह चोर दरवान इसी दिन के लिए तो घात लगाये था, वर्ना विश्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ की तिजोरी-चाबी तक कैसे समझे रहता ?
- घर फूंककर तमाशा देखना (अपना घर स्वयं उजाड़ना या अपना नुकसान खुद करना)- जुए में सब कुछ बर्बाद करके राजू अब घर फूँक के तमाशा देख रहा है।
- घपले में पड़ना (किसी काम का खटाई में पड़ना) – लोन के कागज पूरे न होने के कारण लोन स्वीकृति का मामला घपले में पड़ गया है।
- घर का बोझ उठाना (घर का खर्च चलाना या देखभाल करना)- बचपन में ही अपने पिता के मरने के बाद राकेश घर का बोझ उठा रहा है।
- घर का नाम डुबोना (परिवार या कुल को कलंकित करना)- रामू ने चोरी के जुर्म में जेल जाकर घर का नाम डुबो दिया।
- घर उजड़ना (गृहस्थी चौपट हो जाना)- रामनायक की दुर्घटना में मृत्यु क्या हुई, दो महीने में ही उसका सारा घर उजड़ गया।
- घड़ो पानी पड़ जाना (अत्यन्त लज्जित होना)- वह हमेशा फस्ट क्लास लेता था मगर इस बार परीक्षा में चोरी करते समय रँगे हाथ पकड़े जाने पर बच्चू पर घोड़े पड़ गया।
- घी के दीए जलाना (अप्रत्याशित लाभ पर प्रसत्रता) – जिससे तुम्हारी बराबर ठनती रही, वह बेचारा कल शाम कूच कर गया। अब क्या है, घी के दीये जलाओ।
- घर बसाना (विवाह करना) उसने घर क्या बसाया, बाहर निकलता ही नहीं।
- घर घाट एक करना (कठिन परिश्रम करना) – नौकरी के लिए संजय ने घर घाट एक कर दिया।
च से शुरू होने वाले मुहावरे
- चल बसना (मर जाना) बेचारे का बेटा भरी जवानी में चल बसा।
- चार चाँद लगाना (चौगुनी शोभा देना)- निबन्धों में मुहावरों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाता है।
- चाँदी काटना (खूब आमदनी करना)- कार्यालय में बाबू लोग खूब चाँदी काट रहे है।
- चेहरा खिलना (खुश होना)- जब अमित दसवीं में उत्तीर्ण हो गया तो उसका चेहरा खिल गया।
- चम्पत हो जाना (भाग जाना)- जब काम करने की बारी आई तो राजू चंपत हो गया।
- चकमे में आना (धोखे में पड़ना)- किशोर किसी के चकमे में आने वाला नहीं है, वह बहुत समझदार है।
- चेहरे का रंग उड़ना (निराश होना) जब रानी को परीक्षा में फेल होने की सूचना मिली तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया।
- चाँद पर थूकना (व्यर्थ निन्दा या सम्माननीय का अनादर करना) – जिस भलेमानस ने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, उसे ही तुम बुरा-भला कह रहे हो ? भला, चाँद पर भी थूका जाता है?
- चूड़ियाँ पहनना (स्त्री की-सी असमर्थता प्रकट करना)- इतने अपमान पर भी चुप बैठे हो! चूड़ियाँ तो नहीं पहन रखी है तुमने ?
- चहरे पर हवाइयाँ उड़ना (डरना, घबराना)- साम्यवाद का नाम सुनते ही पूँजीपतियों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगती है।
छ से शुरू होने वाले मुहावरे
- छाती जलना (ईर्ष्या होना)- जब भवेश दसवीं में फर्स्ट क्लास आया तो उसके विरोधियों की छाती जल गई।
- छोटा मुँह बड़ी बात (हैसियत से अधिक बात करना)- अध्यापक ने विद्यार्थियों को समझाया कि हमें कभी छोटे मुँह बड़ी बात नहीं करनी चाहिए, वरना पछताना पड़ेगा।
- छलनी कर डालना (शोक-विह्वल कर देना) – तुम्हारी जली-कटी बातों ने मेरा कलेजा छलनी कर डाला है, अब मुझसे बात मत करो।
- छाप पड़ना (प्रभाव पड़ना)- प्रोफेसर शर्मा का व्यक्तित्व ही ऐसा है। उनकी छाप सब पर जरूर पड़ती है।
- छी छी करना (घृणा प्रकट करना) तुम्हारे काले कारनामों के कारण सब लोग तुम्हारे लिए छी छी कर रहे हैं।
- छाती दूनी होना (अत्यधिक उत्साहित होना)- जब रोहन बारहवीं कक्षा में प्रथम आया तो कक्षा अध्यापक की छाती दूनी हो गई।
- छप्पर फाडकर देना (बिना मेहनत का अधिक धन पाना)- ईश्वर जिसे देता है, उसे छप्पर फाड़कर देता है।
- छाती पर पत्थर रखना (कठोर हृदय) उसने छाती पर पत्थर रखकर अपने पुत्र को विदेश भेजा था।
- छाती पर सवार होना (आ जाना)- अभी वह बात कर रही थी कि बच्चे उसके छाती पर सवार हो गए।
- छक्के छुड़ाना (हौसला पस्त करना या हराना) – शिवाजी ने युद्ध में मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे।
ज से शुरू होने वाले मुहावरे
- जबान चलाना (अनुचित शब्द कहना) सीमा बहुत जबान चलाती है, उससे कौन बात करेगा?
- जले पर नमक छिड़कना (दुःखी व्यक्ति को और दुःखी करना) – अध्यापक ने छात्रों से कहा कि हमें किसी के जले पर नमक नहीं छिड़कना चाहिए।
- जहर की गाँठ (बुरा या दुष्ट व्यक्ति)- अखिल जहर की गाँठ है, उससे मित्रता करना बेकार है।
- जमीन आसमान एक करना (बहुत प्रयास करना) – मै शहर में अच्छा मकान लेने के लिए जमीन आसमान एक कर दे रहा हूँ परन्तु सफलता नहीं मिल रही है।
- जान पर खेलना (साहसिक कार्य) हम जान पर खेलकर भी अपने देश की रक्षा करेंगे।
- जूती चाटना (खुशामद करना, चापलूसी करना) – संजीव ने अफसरों की जूतियाँ चाटकर ही अपने बेटे की नौकरी लगवाई है।
- जड़ उखाड़ना (पूर्ण नाश करना)- श्रीकृष्ण ने अपने काल में सभी दुष्टों को जड़ से उखाड़कर फेंक दिया था।
- जबान देना (वायदा करना) अध्यापक ने विद्यार्थियों से कहा कि अच्छा आदमी वही होता है जो जबान देकर निभाता है।
- जल में रहकर मगर से बैर करना (अपने आश्रयदाता से शत्रुता करना) – मैंने रामू से कहा कि जल में रहकर मगर से बैर मत करो, वरना नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।
- जली-कटी सुनाना (बुरा-भला कहना)- मैं जरा देर से ऑफिस पहुँचा तो मालिक ने मुझे जली-कटी सुना दी।
झ से शुरू होने वाले मुहावरे
- झाडू फेरना (बर्बाद करना)- प्रेम ने अपने पिताजी की सारी दौलत पर झाडू फेर दी।
- झूठ के पुल बाँधना (झूठ पर झूठ बोलना) – अपनी नौकरी बचाने के लिए रामू ने झूठ के पुल बाँध दिए।
- झटका लगना (आघात लगना) किसी पर इतना विश्वास मत करो कि कभी झटका लगने पर सँभल भी न पाओ।
- झण्डी दिखाना (स्वीकृति देना) साहब के झण्डी दिखाने के बाद ही क्लर्क बाबू ने लालू का काम किया।
- झख मारना (बेकार का काम करना) आजकल बेरोजगारी में राजू झख मार रहा है।
- झोली भरना (भरपूर प्राप्त होना)- ईश्वर बड़ा दयालु है। अपने भक्तों को वह हमेशा झोली भरकर ही देता है।
- झाँसा देना (धोखा देना)- विपिन को उसके सगे भाई ने ही झाँसा दे दिया।
- झूठ का पुतला (बहुत झूठा व्यक्ति)- वीरू तो झूठ का पुतला है तभी कोई उसकी बात का विश्वास नहीं करता।
- झपट्टा मारना (झपटकर छीन लेना)- झपट्टा मारकर चील अपने शिकार को उठा ले गई।
- झापड़ रसीद करना (थप्पड़ मारना) अध्यापक ने जब सुरेश के गाल पर एक झापड़ रसीद किया तो वह सारी हेकड़ी भूल गया।
ट से शुरू होने वाले मुहावरे
- टाँग अड़ाना (अड़चन डालना) हर बात में टाँग ही अड़ाते हो या कुछ आता भी है तुम्हे ?
- टुकड़ों पर पलना (दूसरे की कमाई पर गुजारा करना) – सुमन अपने मामा के टुकड़ों पर पल रहा है।
- टस से मस न होना (कुछ भी प्रभाव न पड़ना)- दवा लाने के लिए मै घंटों से कह रहा हूँ, परन्तु आप आप टस से मस नहीं हो रहे हैं।
- टोपी उछालना (निरादर करना)- जब पुत्री के विवाह में दहेज नहीं दिया तो लड़के वालों ने रमेश की टोपी उछाल दी।
- टाँग खींचना (किसी के बनते हुए काम में बाधा डालना) – रमेश ने मेरी टाँग खींच दी, वरना मैं मैनेजर बन जाता।
- टाँग तोड़ना (सजा देना या सजा देने की धमकी देना) – अगर सौरव ने दुबारा मेरा काम बिगाड़ा तो मैं उसकी टाँग तोड़ दूँगा।
- टेढ़ी खीर (अत्यन्त कठिन कार्य) आई.ए.एस. पास करना टेढ़ी खीर है।
- टक्कर खाना (बराबरी करना)- जो धूर्त हैं उनसे टक्कर लेने से क्या लाभ ?
- टुकुर-टुकुर देखना (टकटकी लगाकर देखना) – भिखारी भीख माँग रहा था और उसका छोटा-सा बच्चा सबको टुकुर-टुकुर देखे जा रहा था।
- टूट पड़ना (आक्रमण करना)- सब लोगों को इतनी तेज भूख लगी थी कि खाना देखते ही वे टूट पड़े।
ठ से शुरू होने वाले मुहावरे
- ठहाका मारना (जोर से हँसना) वह छोटी-छोटी बातों पर भी ठहाका मारती है।
- ठाट-बाट से रहना (शानौशौकत से रहना)- वे जिस ठाट-बाट से रहते हैं, उसकी बराबरी शायद ही कोई कर सके।
- ठिकाने की बात कहना (समझदारी की बात कहना)- जो लोग ठिकाने की बात कहते हैं, लोग उन पर अवश्य यकीन करते हैं।
- ठोंक बजाकर देखना (अच्छी तरह से जाँच-परख करना)- घर- परिवार सब कुछ ठोंक बजाकर देख लेना तब शादी के लिए हाँ करना।
- ठंडी आहें भरना (दुखभरी साँस लेना)- दूसरों की शोहरत को देखकर ठंडी आहें नहीं भरनी चाहिए।
- ठन-ठन गोपाल (खाली जेब अथवा अत्यन्त गरीब)- सुमेर तो ठन-ठन गोपाल है, वह चंदा कहाँ से देगा?
- ठंडा करना (क्रोध शान्त करना) महेश ने समझा-बुझाकर दादाजी को ठंडा कर दिया।
- ठंडा पड़ना (मर जाना) वह साईकिल से गिरते ही ठंडा पड़ गया।
- ठठरी हो जाना (बहुत कमजोर या दुबला-पतला हो जाना)- बीमारी के कारण मोहन ठठरी हो गया है।
- ठेंगा दिखाना (इनकार करना) वक्त आने पर मेरे मित्र ने मुझे ठेंगा दिखा दिया।
ड से शुरू होने वाले मुहावरे
- डूब मरना (बहुत लज्जित होना)- इस तरह की बातें मेरे लिए डूब मरने के समान हैं।
- डूबती नैया को पार लगाना (संकट से छुड़ाना)- ईश्वर की कृपा होगी तभी तुम्हारी डूबती नैया पार लगेगी।
- डंका पीटना (प्रचार करना)- अनिल ने झूठा डंका पीट दिया कि उसकी लॉटरी खुल गई है।
- डकार जाना (हड़प जाना) सियाराम अपने भाई की सारी संपत्ति डकार गया।
- डींग मारना या हाँकना (शेखी मारना)- जब देखो, शेखू डींग मारता रहता है- ‘मैंने ये किया, मैंने वो किया’।
- डंडी मारना (कम तोलना)- यह दुकानदार बड़ा बेईमान है। तौलते समय हमेशा डंडी मार लेता है।
- डकार तक न लेना (किसी का माल हड़प कर जाना)- इससे बचकर रहो। सारा माला हड़प लेगा और डकार तक न लेगा।
- डुबकी मारना (गायब हो जाना)- ‘इतने दिनों से कहाँ डुबकी मार गए थे’, सुरेश ने मदन से पूछा।
- डेरा डालना (निवास करना) साधु ने मंदिर में जाकर अपना डेरा डाल दिया।
- डोंड़ी पीटना (मुनादी या ऐलान करना)- बीरबल की विद्वता को देखकर अकबर ने डोंड़ी पीट दी थी कि वह राज दरबार के नवरत्नों में से एक है।
ढ से शुरू होने वाले मुहावरे
- ढेर करना (मार गिराना)- पुलिस ने कल दो लुटेरों को सरेआम ढेर कर दिया।
- ढील देना (छूट देना)- दादी माँ कहती हैं कि बच्चों को अधिक ढील नहीं देनी चाहिए।
- ढोंग रचना (पाखंड करना)- ढोंग रचने वाले साधुओं से मुझे सख्त नफ़रत है।
- ढलती-फिरती छाया (भाग्य का खेल या फेर)- कल वह गरीब था, आज अमीर है- सब ढलती-फिरती छाया है।
- ढाई ईंट की मस्जिद (सबसे अलग कार्य करना) – राजेश घर में कुआँ खुदवाकर ढाई ईंट की मस्जिद बना रहा है।
- ढेर हो जाना (गिरकर मर जाना)- कल पुलिस की मुठभेड़ में दो बदमाश ढेर हो गए।
- ढोल पीटना (सबसे बताना)- अरे, कोई इस रानी को कुछ मत बताना, वरना ये ढोल पीट देगी।
- ढल जाना (कमजोर हो जाना, वृद्धावस्था की ओर जाना)- बीमारी के कारण उसका सारा शरीर ढल गया है।
- ढिंढोरा पीटना (घोषणा करना) – केवल ढिंढोरा पीटने से काम नहीं बनता। काम बनाने के लिए लोगों का विश्वास जीतना जरूरी है।
- ढाई दिन की बादशाहत होना या मिलना (थोड़े दिनों की शान-शौकत या हुकूमत होना)- मैनेजर के बाहर जाने पर मोहन को ढाई दिन की बादशाहत मिल गई है।
त से शुरू होने वाले मुहावरे
- तलवार सिर पर लटकना (खतरा होना)- आजकल रामू के मैनेजर से उसकी कहासुनी हो गई है इसलिए तलवार उसके सिर पर लटकी हुई है।
- तख्ता पलटना (एक शासक द्वारा दूसरे शासक को हटाकर उसके सिंहासन पर खुद बैठना)- पाकिस्तान में मुशर्रफ ने तख्ता पलट दिया और कोई कुछ न कर सका।
- तारे तोड़ लाना (कठिन या असंभव कार्य करना)- जब विवेक ने अपनी डींग मारनी शुरू की तो मैंने कहा- बस करो भाई! तारे नहीं तोड़ लाए हो, जो इतनी डींग मार रहे हो।
- तिनके का सहारा (थोड़ी-सी मदद) मैंने मोहित की जब सौ रुपए की मदद की तो उसने कहा कि डूबते को तिनके का सहारा बहुत होता है।
- तीन-पाँच करना (हर बात में आपत्ति करना) – राघव बहुत तीन-पाँच करता है इसलिए सब उससे दूर रहते हैं।
- तलवे धोकर पीना (अत्यधिक आदर-सत्कार या सेवा करना)- अमन अपने माता-पिता के तलवे धोकर पीता है तभी लोग उसे श्रवण का अवतार कहते हैं।
- तलवार की धार पर चलना (बहुत कठिन कार्य करना) – मित्रता निभाना तलवार की धार पर चलने के समान है।
- तारे गिनना (चिंता के कारण रात में नींद न आना)- अपने पुत्र की चिन्ता में पिता रात भर तारे गिनते रहे।
- तिल का ताड़ बनाना (छोटी-सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना)- शांति तो तिल का ताड़ बनाने में माहिर है।
- तीन तेरह करना (नष्ट करना, तितर बितर करना)- जरा-से झगड़े ने दोनों भाइयों को तीन तेरह कर दिया।
थ से शुरू होने वाले मुहावरे
- थर्रा उठना (अत्यंत भयभीत होना)- अचानक इतनी तेज धमाका हुआ कि दूर तक के लोग थर्रा उठे।
- थूक कर चाटना (कह कर मुकर जाना)- कल मुन्ना थूक कर चाट गया। अब उस पर कोई विश्वास नहीं करेगा।
- थाह लेना (मन का भव जानना)- गंभीर लोगों के मन की थाह लेना मुश्किल होता है।
- थैली का मुँह खोलना (खूब धन व्यय करना) – सेठ रामप्रसाद ने अपनी बेटी के विवाह में थैली का मुँह खोल दिया था।
- थुड़ी-थुड़ी होना (बदनामी होना) बच्चों को बेवजह पीटने पर अध्यापक की हर जगह थुड़ी-थुड़ी हो रही है।
- थक कर चूर होना (बहुत थक जाना)- मई की धूप में चार कि० मी० की पैदल यात्रा करने के कारण मैं तो थककर चूर हो गया
- थाली का बैंगन होना (ऐसा आदमी जिसका कोई सिद्धान्त न हो)- आजकल के नए-नए नेता तो थाली के बैंगन हैं।
द से शुरू होने वाले मुहावरे
- दूध के दाँत न टूटना (ज्ञानहीन या अनुभवहीन)- वह सभा में क्या बोलेगा ? अभी तो उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे हैं।
- दूध का दूध और पानी का पानी कर देना (पूरा-पूरा इन्साफ करना) – कल सरपंच ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।
- दिन दूना रात चौगुना (तेजी से तरक्की करना) – रामदास अपने व्यापार में दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है।
- दरार पड़ना (मतभेद पैदा होना)- अब कौशल और कौशिक की दोस्ती में दरार पड़ गई है।
- दाँत पीसना (बहुत क्रोधित होना)- रमेश तो बात-बात पर दाँत पीसने लगता है।
- दाँतों तले उँगली दबाना (दंग रह जाना)- जब एक गरीब छात्र ने आई.ए.एस. पास कर ली तो सब दाँतों तले उंगली दबाने लगे।
- दाल में काला होना (संदेह होना) हम लोगों की ओट में ये जिस तरह धीरे-धीरे बातें कर रहें है, उससे मुझे दाल में काला लग रहा है।
- दो कौड़ी का आदमी (तुच्छ या अविश्वसनीय व्यक्ति) – किस दो कौड़ी के आदमी की बात करते हो ?
- दो टूक बात कहना (थोड़े शब्दों में स्पष्ट बात कहना) – दो टूक बात कहना अच्छा रहता है।
- दो नावों पर पैर रखना/दो नावों पर सवार होना (दो काम एक साथ करना) – मित्र, तुम दो नावों पर पैर मत रखो – या तो पढ़ लो, या नौकरी कर लो।
ध से शुरू होने वाले मुहावरे
- धज्जियाँ उड़ाना (किसी के दोषों को चुन-चुनकर गिनाना)- उसने उनलोगों की धज्जियाँ उड़ाना शुरू किया कि वे वहाँ से भाग खड़े हुए।
- धोखा देना (ठगना) – चोर पुलिस को धोखा देकर भाग गया।
- धूल चाटना (खुशामद करना)- पहले तो बहुत अकड़ रहे थे| जब पता चला कि मदन मंत्री का बेटा है, तो लगे उसकी धूल चाटने|
- ध्यान में न लाना (विचार न करना) अपनी पत्नी की बातों को ध्यान में मत लाया करो वरना दुखी होते रहोगे।
- धूप में बाल सफेद करना (बिना अनुभव के जीवन का बहुत बड़ा भाग बिता देना)- रामू काका ने धूप में बाल सफेद नहीं किए हैं, उन्हें बहुत अनुभव है।
- धीरज बँधाना (सांत्वना देना)- सब लोगों ने धीरज बँधाने की कोशिश की पर उसके आँसू न थमे।
- धुन का पक्का (लगन से काम करने वाला)- जो धुन के पक्के होते हैं वे काम पूरा करके ही छोड़ते हैं।
- धोबी का कुत्ता घर का न घाट का (जिसका कहीं ठिकाना न हो, निरर्थक व्यक्ति)- जब से रामू की नौकरी छूटी है, उसकी दशा धोबी का कुत्ता घर न घाट का जैसी है।
- धूल फाँकना (मारा-मारा फिरना) बी.ए. पास करने के बाद कालू नौकरी के लिए धूल फाँक रहा है।
- धाक जमाना (रोब या दबदबा जमाना)- वह जहाँ भी जाता है वहीं अपनी धाक जमा लेता है।
न से शुरू होने वाले मुहावरे
- नमक-मिर्च लगाना (बढ़ा-चढ़ाकर कहना)- मेरे भाई ने नमक- मिर्च लगाकर मेरी शिकायत पिता जी से कर डाली।
- नाक में नकेल डालना (नियंत्रण में करना)- अशोक ने मैनेजर बनकर सबकी नाक में नकेल डाल दी है।
- नाक ऊँची रखना (सम्मान या प्रतिष्ठा रखना)- शांति हमेशा अपनी नाक ऊँची रखती है।
- नाक रगड़ना (बहुत अनुनय-विनय करना)- सुरेश को नाक रगड़ने पर भी नौकरी नहीं मिली।
- नंगा नाच करना (खुलेआम नीच काम करना)- मुहल्ले में गुंडे नंगा नाच करते हैं और पुलिस कुछ करना ही नहीं चाहती।
- नजर उतारना (बुरी दृष्टि के प्रभाव को मंत्र आदि युक्ति से दूर करना) – लगता है तुम्हें लोगों की नजर लग जाती है इसलिए जल्दी-जल्दी बीमार पड़ जाती हो। इस बार किसी साधु-संत से नजर उतरवा लो।
- नौ-दो ग्यारह होना (भाग जाना)- बिल्ली को देखकर चूहे नौ दो ग्यारह हो गए।
- न इधर का, न उधर का (कही का नही) कमबख्त ने न पढ़ा, न बाप की दस्तकारी सीखी; न इधर रहा, न उधर का।
- नमक हलाल करना (उपकार का बदला उतारना)- कुत्ते ने मालिक के लिए अपनी जान दे कर अपना नमक हलाल कर दिया।
- नमक का हक अदा करना (बदला/ऋण चुकाना)- यदि आप मेरी मदद करेंगे तो जीवन भर मैं आपके नमक का हक अदा करता रहूँगा।
प से शुरू होने वाले मुहावरे
- पाँचों उँगलियाँ घी में होना (पूरे लाभ में)- पिछड़े देशों में उद्योगियों और मेहनतकशों की हालत पतली रहती है तथा दलालों, कमीशन एजेण्टों और नौकरशाहों की ही पाँचों उँगलियाँ घी में रहता हैं।
- पगड़ी रखना (इज्जत बचाना) हल्दीघाटी में झाला सरदार ने राजपूतों की पगड़ी रख ली।
- पानी-पानी होना (अधिक लज्जित होना)- जब धीरज की चोरी पकड़ी गई तो वह पानी-पानी हो गया।
- पत्ता कटना (नौकरी छूटना) मंदी के दौर में मेरी कंपनी में दस लोगों का पत्ता कट गया।
- पर्दाफाश करना (भेद खोलना) महेश मुझे बात-बात पर धमकी देता है कि यदि मैं उसकी बात नहीं मानूँगा तो वह मेरा पर्दाफाश कर देगा।
- पेट काटना (अपने भोजन तक में बचत)- अपना पेट काटकर वह अपने छोटे भाई को पढ़ा रहा है।
- पेट में चूहे कूदना (जोर की भूख) पेट में चूहे कूद रहे है। पहले कुछ खा लूँ, तब तुम्हारी सुनूँगा।
- पहाड़ टूट पड़ना (भारी विपत्ति आना)- उस बेचारे पर तो दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा।
- पट्टी पढ़ाना (बुरी राय देना) – तुमने मेरे बेटे को कैसी पट्टी पढ़ाई कि वह घर जाता ही नहीं ?
- पगड़ी उतारना (अपमानित करना)- दहेज-लोभियों ने सीता के पिता की पगड़ी उतार दी।
फ से शुरू होने वाले मुहावरे
- फूटी आँखों न सुहाना (तनिक भी अच्छा न लगना)- झूठ बोलने वाले लोग मुझे फूटी आँख नहीं सुहाते।
- फूंक-फूंक कर कदम रखना (सोच-समझकर काम करना)- एक बार नुकसान उठा लिया अब तो फूंक-फूंक कर कदम रखो।
- फूलकर कुप्पा हो जाना (बहुत खुश होना) नौकरी लगने की खबर सुनते ही वह फूलकर कुप्पा हो गया।
- फूटी कौड़ी भी न होना (बहुत गरीब होना)- मेरे पास तो फूटी कौड़ी भी नहीं हैं, मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।
- फूट-फूट कर रोना (बहुत रोना)- परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने की खबर सुनकर वह फूट-फूट कर रोने लगी।
- फटे हाल होना (बहुत गरीब होना)- जो बेचारा खुद फटे हाल है वह दूसरों की क्या मदद करेगा।
- फूलना-फलना (धनवान या कुलवान होना)- मेरा आशीर्वाद है; सदा फूलो-फलो।
- फटे में पाँव देना (दूसरे की विपत्ति अपने ऊपर लेना) – शर्मा जी की फटे में पाँव देने की आदत है।
- फूट डालना (मतभेद पैदा करना) अंग्रेजों ने फूट डाल कर भारत पर राज किया था।
- फूला न समाना (अत्यन्त आनन्दित होना)- जब रवि कक्षा 10 में पास हो गया तो वह फूला नहीं समाया।
ब से शुरू होने वाले मुहावरे
- बाएं हाथ का खेल (बहुत सुगम कार्य)- रामू ने कहा कि कबड्डी में जीतना तो उसके बाएं हाथ का खेल है।
- बुद्धि पर पत्थर पड़ना (अक्ल काम न करना)- आज उसकी बुद्धि पर पत्थर पड़ गए तभी तो उसने 10 लाख का मकान 2 लाख में बेच दिया।
- बेपेंदी का लौटा (किसी की तरफ न टिकने वाला)- वह नेता तो बेपेंदी का लौटा है- कभी इस पार्टी में तो कभी उस पार्टी में चला जाता है।
- बहत्तर घाट का पानी पीना (अनेक प्रकार के अनुभव प्राप्त करना) – काका जी बहत्तर घाट का पानी पी चुके हैं, उनको कोई धोखा नहीं दे सकता।
- बाल की खाल निकालना (छोटी से छोटी बातों पर तर्क करना)- सूरज तो हमेशा बाल की खाल निकालता रहता है।
- बाल बाँका न होना (जरा भी हानि न होना) – जिसकी रक्षा ईश्वर करता है उसका बाल भी बाँका नहीं हो सकता।
- बहती गंगा में हाथ धोना (समय का लाभ उठाना)- हर आदमी बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है चाहें उसमें क्षमता हो या न हो।
- बना बनाया खेल बिगड़ जाना (सिद्ध हुआ काम खराब हो जाना) – तुम्हारी एक छोटी-सी गलती से सारा बना बनाया खेल ही बिगड़ गया।
- बलि जाना (न्योछावर होना)- मीरा कृष्ण के हर रूप पर बलि जाती थी।
- बुढ़ापे की लाठी (बुढ़ापे का सहारा)- रामदीन का बेटा उसके बुढ़ापे का लाठी था, वह भी विदेश चला गया।
भ से शुरू होने वाले मुहावरे
- भौंहे टेढ़ी करना (क्रोध आना) पिताजी की जरा भौंहे टेढ़ी करते ही पिंटू चुप हो गया।
- भनक पड़ना (सुनाई पड़ना)- पुजारी जी ने अपनी लड़की की शादी कर दी और किसी को भनक तक नहीं पड़ी।
- भरी थाली में लात मारना (लगी लगाई नौकरी छोड़ना)- राजू ने भरी थाली में लात मारकर अच्छा नहीं किया।
- भैंस के आगे बीन बजाना (वज्र मूर्ख के सामने बुद्धिमानी की बातें करना) – राजू को कोई बात समझाना तो भैंस के आगे बीन बजाना है।
- भीगी बिल्ली होना (डर से दबना) वह अपने शिक्षक के सामने भीगी बिल्ली हो जाता है।
- भाड़ झोंकना (व्यर्थ समय नष्ट करना) अगर पढ़ाई-लिखाई नहीं करोगे तो सारी जिंदगी भाड़ झोंकोगे।
- भूत उतरना (क्रोध शांत होना) – उससे कुछ मत कहो। जब भूत उतर जाएगा तब खुद ही शांत हो जाएगा।
- भृकुटि तन जाना (क्रोध आना)- मेरी बात सुनते ही अध्यापक महोदय की भृकुटि तन गई।
- भंडा फूटना (पोल खुलना)- भंडा फूटने के डर से रवि मीटिंग से उठ कर चला गया।
- भगवान को प्यारे हो जाना (मर जाना)- सोनू के नानाजी कल भगवान को प्यारे हो गए।
म से शुरू होने वाले मुहावरे
- मुँह की खाना (हारना/पराजित होना)- इस बार तो राजू पहलवान ने मुँह की खाई है, पिछली बार वह जीता था।
- मैदान साफ होना (कोई रुकावट न होना)- जब रात को सब लोग सो गए और पुलिस वाले भी चले गए तो चोरों को लगा कि अब मैदान साफ है और सामने वाले घर में घुसा जा सकता है।
- मिट्टी के मोल बिकना (बहुत सस्ता)- जो चीज मिट्टी के मोल थी आज की मँहगाई में सोने के भाव बिक रही है।
- मुँह पर कालिख लगना (कलंकित होना)- चोरी करते पकड़े जाने पर राजू के मुँह पर कालिख लग गई।
- मुँह पर ताला लगना (चुप रहने के लिए विवश होना) – कक्षा में अध्यापक के आने पर सब छात्रों के मुँह पर ताला लग जाता है।
- मुँह पर थूकना (बुरा-भला कहना)- कालू की करतूत देखकर सब उसके मुँह पर थूक गए।
- मुँह काला होना (अपमानित होना) उसका मुँह काला हो गया, अब वह किसी को क्या मुँह दिखाएगा।
- मक्खन लगाना (चापलूसी करना) – चपरासी को मक्खन लगाने के बाद भी रामू का काम नहीं बना।
- मक्खी मारना (बेकार रहना)- पढ़-लिख कर श्यामदत्त मक्खी मार रहा है।
- मगजपच्ची करना (समझाने के लिए बहुत बकना)- इस काठ के उल्लू के साथ कौन मगजपच्ची करे।
य से शुरू होने वाले मुहावरे
- यमपुर पहुँचाना (मार डालना)- पुलिस ने चोर को मारमार कर यमपुर पहुँचा दिया।
- युक्ति लड़ाना (उपाय करना)- अशोक हमेशा पैसा कमाने की युक्ति लड़ाता रहता।
- यश गाना (प्रशंसा करना)- यदि आप देश के लिए अच्छे काम करेंगे तो लोग आपका यश गाएँगे।
- यारी गाँठना (मित्रता करना)- पुलिस वालों से यारी गाँठना उसे महँगा पड़ा।
र से शुरू होने वाले मुहावरे
- रंग में भंग पड़ना (बिघ्न या बाधा पड़ना)- मीरा की शादी में कुछ असामाजिक तत्वों के आने से रंग में भंग पड़ गया।
- राई-काई करना (छिन्न-भिन्न करना)- पुलिस ने जरा-सी देर में सारी भीड़ को राई-काई कर दिया।
- रंगे हाथों पकड़ना (अपराध करते हुए पकड़ना)- पुलिस ने चोर को रंगे हाथों पकड़ लिया।
- रास्ते का काँटा (उन्नति या प्रगति में बाधक)- मोहन की कड़वी जुबान उसके रास्ते का काँटा हैं।
- रफू चक्कर होना (गायब होना)- अभी तो वह लड़का यहीं बैठा था। आपको आते देख लिया होगा इसलिए लगता है कहीं रफू चक्कर हो गया।
- रंग चढ़ना (प्रभावित होना)- रामू पर दिल्ली के रहन-सहन का रंग चढ़ गया है। अब तो वह कान में मोबाइल लगाए फिरता है।
- रंग जमाना (रौब जमाना)- नया मैनेजर सब पर अपना रंग जमा रहा है।
- रँगा सियार (धोखेबाज आदमी)- मैं सुमन पर विश्वास करता था पर वह तो रँगा सियार निकला, मेरा सारा पैसा लेकर भाग गया।
- राई से पर्वत करना या बनाना (छोटे से बड़ा होना) – शांति किसी भी बात को राई से पर्वत कर देती है।
- राई का पर्वत होना (बात का बतंगड़ होना)- मुझे क्या पता कि मेरे बोलने से राई का पर्वत हो जाएगा, वर्ना मैं चुप ही रहता।
ल से शुरू होने वाले मुहावरे
- लल्लो-चप्पो करना (खुशामद करना, चिरौरी करना)- विनोद ल्लो-चप्पो करके अपना काम चलाता है।
- लाल-पीला होना (नाराज होना)- राजू के कक्षा में शोर मचाने पर अध्यापक लाल-पीले हो गए।
- लकीर पीटना (बिना सोचे-समझे पुरानी प्रथा पर चलना)- कब तक यूँ ही लकीर पीटती रहोगी? जमाने के साथ अपने को बदलना सीखो।
- लगाम कड़ी करना (सख्ती से नियंत्रण करना/सख्ती करना)- प्रधानाचार्य ने लगाम कड़ी की तो सभी समय पर आने लगे।
- लगाम ढीली करना (सख्ती न करना/नियमों में नर्मी बरतना)- जरा-सी लगाम ढीली करने से मेरी कंपनी का कोई भी कर्मचारी अब समय पर नहीं आता।
- लंबी-चौड़ी हाँकना (गप्प मारना) मोहन कक्षा में लंबी-चौड़ी हाँक रहा था तभी अध्यापक आ गए और वह खामोश हो गया।
- लोहे के चने चबाना (कठिनाई झेलना)- भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े।
- लकीर का फकीर होना (पुरानी प्रथा पर ही चलना)- ये अबतक लकीर के फकीर ही है। टेबुल पर नही, चौके में ही खायेंगे।
- लोहा मानना (किसी के प्रभुत्व को स्वीकार करना) – क्रिकेट के क्षेत्र में आज सारे देशों की टीमें आस्ट्रेलिया की टीम का लोहा मानती हैं।
- लेने के देने पड़ना (लाभ के बदले हानि)- नया काम हैं। सोच- समझकर आगे बढ़ना। कहीं लेने के देने न पड़ जायें।
व से शुरू होने वाले मुहावरे
- वेद वाक्य (सौ प्रतिशत सत्य)- हमारे शिक्षक की कही हर बात वेद वाक्य है।
- वचन से फिरना (प्रतिज्ञा पूरी न करना) – तुमने जैसा कहा है मैं वैसा कर दूँगा लेकिन अपने वचन से फिरना मत।
- वारा-न्यारा करना (निपटारा करना, खतम करना)- जब मेरा काम चलने लगेगा तो ऐसे कई लोगों का तो मैं वारा-न्यारा कर दूँगा।
- विष घोलना (किसी के मन में शक या ईर्ष्या पैदा करना) – राजू ने बनी-बनाई बात में विष घोल दिया।
- विष उगलना (कड़वी बात कहना)- कालू हमेशा राजू के खिलाफ विष उगलता रहता है।
- वाहवाही लूटना (प्रशंसा पाना)- काम कोई करना नहीं चाहता। सिर्फ बिना कुछ करे-धरे वाहवाही लूटना चाहते हैं।
- वीरगति को प्राप्त होना (मर जाना)- राणा प्रताप ने मुगल सेना का डट कर सामना किया और अंत में वीरगति को प्राप्त हुए।
- वक्त पड़ना (मुसीबत आना) वक्त पड़ने पर ही मित्र की पहचान होती है।
- वज्र टूटना (भारी विपत्ति आना) रामू के पिताजी के मरने के पश्चात् उस पर वज्र टूट पड़ा।
श से शुरू होने वाले मुहावरे
- शैतान का बच्चा (बहुत नीच और दुष्ट आदमी) – वह वकील तो शैतान का बच्चा है।
- शहद लगा कर चाटना (निरर्थक वस्तु को संभाल कर रखना)- मेरा काम हो गया, अब तुम इस फाइल को शहद लगा कर चाटो।
- शामत आना (बुरा समय आना)- सब ठीक ठाक चल रहा था। न जाने कहाँ से शामत आ गई और सब बर्बाद हो गई।
- शक्कर से मुँह भरना (खुशखबरी सुनाने वाले को मिठाई खिलाना) – रमेश ने दसवीं पास होने पर अपने मित्रों का शक़्कर से मुँह भर दिया।
- शैतान की खाला (बहुत ही दुष्ट स्त्री) शांति तो शैतान की खाला है।
- शंख के शंख रहना (मूर्ख के मूर्ख बने रहना) – शंभू तो शंख का शंख ही रहा।
- शीशे में अपना मुँह देखना (अपनी योग्यता पर विचार करना)- पहले शीशे में अपना मुँह देखो तब सोचो कि क्या तुम ऐसी सुंदर लड़की के लिए उपयुक्त हो?
- शरीर टूटना (शरीर में दर्द होना)- आज सुबह से ही मेरा शरीर टूट रहा है और जी मचला रहा है।
- शेर होना (निर्भय और घृष्ट होना) अपनी गली में तो कुत्ते भी शेर होते है।
- शह देना (उत्साह बढ़ाना)- तुम शह न देते तो उनकी मजाल थी कि मुझे यूँ आँखें दिखाती।
स से शुरू होने वाले मुहावरे
- संसार बसाना (विवाह करके कौटुम्बिक जीवन व्यतीत करना)- शंभू ने अपना संसार बसा लिया है।
- सिर पर कफ़न बाँधना (मरने के लिए तैयार रहना)- सैनिक सीमा पर सिर पर कफ़न बाँधे रहते हैं।
- सिर पर पाँव रख कर भागना (बहुत तेजी से भाग जाना)- पुलिस को देख कर डाकू सिर पर पाँव रख कर भाग गए।
- सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ना (कार्यारम्भ में विघ्न पड़ना)- यदि मैं जानता कि सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ेंगे तो विवाह के नजदीक ही न जाता।
- संसार सिर पर उठा लेना (बहुत उपद्रव करना)- अंकुर और पुनीत जहाँ भी जाते हैं, संसार सिर पर उठा लेते हैं।
- सिर पर आसमान उठाना (बहुत शोरगुल करना) – माँ के बिना बच्चे ने सिर पर आसमान उठा लिया है।
- समझ (अक्ल) पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भ्रष्ट होना) – रावण की समझ पर पत्थर पड़ा था कि भला कहनेवालों को उसने लात मारी।
- सर गंजा कर देना (खूब पीटना)- भागो यहाँ से, नही तो सर गंजा कर दूँगा।
- सफेद झूठ (सरासर झुठ) यह सफेद झूठ है कि मैंने उसे गाली दी।
- संसार देखना (सांसारिक अनुभव प्राप्त करना)- गुरुजी ज्ञानी और विद्वान हैं। उन्होंने संसार देखा है।
ह से शुरू होने वाले मुहावरे
- हथेली पर सरसों जमाना (कोई कठिन काम तुरन्त करना)- जब सीमा ने राजू को दो घंटे में पूरी किताब याद करने को कहा तो राजू ने हथेली पर सरसों जमाने के लिए मना कर दिया।
- हाथ पैर मारना (काफी प्रयास)- राम कितना मेहनत क्या फिर भी वह परीक्षा में सफल नहीं हुआ।
- हाथों में चूड़ियाँ पहनना (कायरता का काम करना) – कायर ! जाओ, हाथ में चूड़ियाँ पहनकर बैठे रहो।
- हालत खस्ता होना (कष्टमय परिस्थिति होना) – बेरोजगारी में धरमचंद की हालत खस्ता है।
- हिरण हो जाना (गायब हो जाना)- पुलिस को सामने देखकर शराबी का नशा हिरण हो गया।
- हँसी-खेल समझना (किसी काम को सरल समझना) – सतीश पुस्तकें लिखना हँसी-खेल समझता है।
- हजम करना (हड़प लेना)- प्रेम के माता-पिता के मरने पर उसकी सारी संपत्ति उसके मामा हजम कर गए।
- हवा के घोड़े पर सवार होना (बहुत जल्दी में होना)- राजू तो हमेशा ही हवा के घोड़े पर सवार रहता है, इसलिए कभी उससे शांति से बात नहीं हो पाती।
- हवा बिगड़ना (पहले की सी धाक या मर्यादा न रह जाना)- आजकल पुराने रईसों की हवा बिगड़ गई है।
- हवा में किले बनाना (काल्पनिक योजनाएँ बनाना)- शंभू तो हमेशा हवा में किले बनाता रहता है।
त्र से शुरू होने वाले मुहावरे
- त्रिशंक होना (बीच में रहना, न इधर का होना, न उधर का)- केशव न तो अभी तक आया और न ही फोन किया। समारोह में जाना है या नहीं कुछ भी नहीं पता। मैं तो त्रिशुंक हो गया हूँ।
- त्राहि-त्राहि करना (विपत्ति या कठिनाई के समय रक्षा या शरण के लिए प्रार्थना करना) आग लगने पर बच्चे का उपाय न देखकर लोग त्राहि-त्राहि करने लगे।
शरीर के 13 अंगो के नाम पर मुहावरे
जैसा की अपने जाना की मुहावरों को कई तरह से व्यक्त किया जा सकता हैं| इसका ज्यादा उपयोग शरीर के अंगो के साथ बना कर किया जाता हैं| जिसमे आँख, अँगूठा, ओठ, कान, कलेजा, नाक, सिर इत्यादि अंग आते हैं|
आंख पर |
आँखें निकालना- (क्रोधपूर्वक देखना) |
आँखें बंद होना- (मर जाना) |
आँख-कान खुले रखना- (बहुत सर्तक रहना) |
अँगूठा पर |
अँगूठा चूमना- (खुशामद करना) |
अँगूठा नचाना- (चिढाना) |
अँगूठा दिखाना- (देने से इंकार करना) |
आँसू पर |
आँसू बहाना – (खूब रोना) |
आँसू पी जाना- (दुःख को छिपा लेना) |
आँसू पोंछना- (धीरज बँधाना) |
ओठ पर |
ओठ सूखना- (प्यास लगना) |
ओठ मलना- (दण्ड देना) |
ओठ चबाना – (क्रोध करना) |
ऊँगली पर |
पाँचों उँगलियाँ घी में होना- (सब प्रकार से लाभ-ही-लाभ) |
ऊँगली उठना- (निन्दा होना) |
सीधी ऊँगली से घी न निकलना- (भलमनसाहत से काम न होना) |
कान पर |
कान खड़े होना- (होशियार होना) |
कान पर जूँ न रेंगना- (ध्यान न देना, अनसुनी करना) |
कान भरना- (पीठ-पीछे शिकायत करना) |
कलेजा पर |
कलेजे से लगाना- (प्यार करना, छाती से चिपका लेना) |
कलेजा निकाल कर रख देना- (अतिप्रिय वस्तु अर्पित कर देना) |
कलेजा निकाल कर रख देना- (अतिप्रिय वस्तु अर्पित कर देना) |
नाक पर |
नाक में दम करना- (परेशान करना) |
नाक काटना- (बदनाम करना) |
नाक रगड़ना- (दीनतापूर्वक प्रार्थना करना) |
मुँह पर |
मुँह की खाना- (बुरी तरह हारना) |
मुँह काला होना- (कलंक या दोष लगना) |
मुँह छिपाना- (लज्जित होना) |
दाँत पर |
दाँत गिनना- (उम्र बताना) |
दाँत तले ऊँगली दबाना- (चकित होना) |
दाँत खट्टे करना- (पस्त करना) |
सिर पर |
सिर आँखों पर होना- (सहर्ष स्वीकार होना) |
सिर पड़ना- (नाम लगना) |
सिर पर पांव रखकर भागना- (बहुत जल्द भाग जाना) |
गर्दन पर |
गर्दन उठाना- (प्रतिवाद करना) |
गर्दन पर सवार होना- (पीछा न छोड़ना) |
गर्दन पर छुरी फेरना- (अत्याचार करना) |
हाथ पर |
हाथ मलना- (पछताना) |
हाथ देना- (सहायता देना) |
हाथ गरम करना- (घूस देना) |
मुहावरों के प्रयोग में बरतनी जाने वाली सावधानियाँ
मुहावरे का प्रयोग करते समय इस बात का सदैव ख्याल रखना चाहिए कि समुचित परिस्थिति, पात्र, घटना और प्रसंग का वाक्य में उल्लेख अवश्य हो। केवल वाक्य-प्रयोग कर देने पर संदर्भ के अभाव में मुहावरे अपने अर्थ को अभिव्यक्ति नहीं कर सकते हैं|
- मुहावरे वाक्यों में ही शोभते हैं, अलग नहीं। जैसे- यदि कहें ‘कान काटना’ तो इसका कोई अर्थ व्यंजित नहीं होता; किन्तु यदि ऐसा कहा जाय- ‘वह छोटा बच्चा तो बड़ों-बड़ों के कान काटता है’ तो वाक्य में अदभुत लाक्षणिकता, लालित्य और प्रवाह स्वतः आ जाता है।
- मुहावरों का प्रयोग उनके असली रूपों में ही करना चाहिए| उनके शब्द बदले नहीं जाते हैं| उनके पद-समूहों में रूप-भेद करने से उसकी लाक्षणिकता और विलक्षणता नष्ट हो जाती है| जैसे- ‘नौ-दो ग्यारह होना’ की जगह ‘आठ तीन ग्यारह होना’ सर्वथा अनुचित है।
- मुहावरे का एक विलक्षण अर्थ होता है| इसमें वाच्यार्थ का कोई स्थान नहीं होता हैं| जैसे- ‘उलटी गंगा बहाना’ का जब वाक्य-प्रयोग होगा, तब इसका अर्थ होगा- ‘रीति-रिवाज के खिलाफ काम करना’|
- मुहावरे का प्रयोग प्रसंग के अनुसार होता है और उसके अर्थ की प्रतीति भी प्रसंगानुसार ही होती है|
FAQs
मुहावरे का शाब्दिक अर्थ होता हैं- अभ्यास| मुहावरा अरबी भाषा का एक शब्द हैं, जिसका अर्थ होता है बात- चीत करना या फिर उत्तर देना|
ऐतिहासिक नामों से संबंधित मुहावरे-
1. अलाउद्दीन का चिराग- आश्चर्यजनक वस्तु
2. चाणक्य नीति- कुटिल नीति
3. दुर्वासा का रूप – बहुत क्रोध करना
4. भीष्म प्रतिज्ञा- कठोर प्रतिज्ञा
5. लंका काण्ड- भयंकर विनाश
हिंदी के मुहावरे और उसके अर्थ-
1. कहावत:- आँख का अंधा, नाम नयनसुख|
अर्थ:- गुण के प्रतिकूल प्रसिद्धि|
2. कहावत:- छोटा मुंह बड़ी बात|
अर्थ:- बढ़- चढ़कर बातें करना|
3. कहावत:- अंधी पीसे, कुत्ता खाय
अर्थ:- कमाए कोई, उड़ाए कोई और
4. कहावत:- अंधे के हाथ बटेर लगी|
अर्थ:- अपात्र को कोई बहुमूल्य चीज मिल जाना|
5. कहावत:- अन्धो में काना राजा|
अर्थ:-मूर्खो के बिच कम पढ़ा- लिखा सदैव आदर पाता हैं|
6. कहावत:- अपने दही को खट्टा कौन कहता हैं?
अर्थ:- अपनी वस्तु किसे नहीं अच्छी लगती?
7. कहावत:- अक्ल बड़ी या भैंस|
अर्थ:- जो काम बल से नहीं होता, वह बुद्धि से होता हैं|
8. कहावत:- आगे कुवां पीछे खाई|
अर्थ:- कार्य करने न करने दोनों में खराबी|
9. कहावत:- ऊंट के मुंह में जीरा|
अर्थ:- बहुत थोड़ा|
10. कहावत:- एक अनार सौ बीमार|
अर्थ:- वस्तु कम, मांगे ज्यादा|
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