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भावार्थ की परिभाषा और अर्थ
भावार्थ (Bhavarth) का अर्थ होता हैं- भाव + अर्थ| शब्द का अर्थ बतलाना शब्दार्थ कहलाता है, जबकि निहित भाव का अर्थ बतलाना भावार्थ है| किसी गद्य या पद्य की अपने शब्दों में व्याख्या करना ही भावार्थ कहलाता है| भावार्थ सारांश और व्याख्या के बीच की चीज हैं| भावार्थ संक्षिप्त और स्पष्ट होना चाहिए| इसे व्याख्या के रूप में नहीं होना चाहिए| केवल अन्वयार्थ (Paraphrase) को भी भावार्थ नहीं समझना चाहिए|
भावार्थ के लिए ध्यान देने योग्य बातें
भावार्थ (Bhavarth) के लिए कई बातों पर ध्यान देना चाहिए-
- मूल अवतरण को कम से कम दो तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए और विचारों को रेखांकित कीजिए|
- व्यर्थ बातों या शब्दों को हटा देना चाहिए|
- रेखांकित वाक्यों और शब्दों को मिलाकर अर्थपूर्ण वाक्य बना लीजिए| रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए कुछ बाहरी शब्द भी लिये जा सकते हैं|
- व्याख्या की तरह किसी भी विषय की लम्बी-चौड़ी व्याख्या करने या अपनी ओर से टिप्पणी करने की कोई आवश्यकता नहीं होती हैं|
- भावार्थ की भाषा स्पष्ट और सरल होनी चाहिए| मूल अवतरण में दिये गये शब्दों का ज्यों-का-त्यों प्रयोग अपेक्षित नहीं है|
- आलंकारिक शब्दों या भाषा का प्रयोग नहीं होना चाहिए|
- भावार्थ में भावों का पदान्वय नहीं होना चाहिए| समूचे अवतरण को पढ़ लेने के बाद सोचना चाहिए कि मूल के सभी महत्त्वपूर्ण और आवश्यक भाव आ गये या नहीं| यदि कोई विचार छूट गया, हो तो यथास्थान समाविष्ट कर देना चाहिए|
Bhavarth के उदाहरण
भावार्थ के उदाहरण दिए जा रहे हैं-
खिलौने बनकर तैयार हुए| खिलौना निर्माता उसे बाजार ले गया| पर दुर्भाग्य! वह न बिकी| अब कौन मुँह लेकर घर लौटे| आखिर घर तो उसे लौटना ही था| उसे देखते ही उसका बच्चा ‘खाना- खाना’ चिल्लाता हुआ दौड़ा और उसके आगे हाथ फैला दिये| खिलौना निर्माता के मुँह से कोई शब्द न निकला| वह बच्चे को अपनी गोद से चिपकाकर रोने लगा|
वह सोचने लगा जिसने धनवानों को बनाया, जिसने प्रकृति पर अधिकार दिया, जिसने जमीन का बंटवारा किया, क्या उसकी बुद्धि इतनी छोटी हो गयी कि कुछ लोग फूलों की सेज पर आराम से सोयें और कुछ लोग पसीने के रूप में दिन-रात खून बहाने पर भी मुट्ठीभर चने तक न पायें!
भावार्थ– आज पूँजीवाद का भयानक रूप देखने को मिलता है| कुछ लोग बिना हाथ-पैर डुलाये मालपुआ चाभते हैं और सुख का जीवन बिताते है और कुछ लोग मेहनत करके भी भरपेट अन्न नहीं पाते| आज दौलत के बाजार में कलाकार को कोई नहीं पूछता| कलाकार भूखा मरता है और अपने बच्चे को बताशा भी खरीदकर नहीं दे सकता|
FAQs
गघांश या पघांश में आये विचारो को संक्षेप एवं सरल भाषा में लिख देने के प्रयास को भावार्थ कहते हैं|
भावार्थ की रूप रेखा-
1. भावार्थ संक्षिप्त होना चाहिए|
2. यह व्याख्या के रूप में नहीं होना चाहिए|
3. इसमें अन्वयार्थ भी नहीं होना चाहिए|
शब्द का अर्थ बतलाना शब्दार्थ कहलाता है, जबकि निहित भाव का अर्थ बतलाना भावार्थ है|
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