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Karmadharaya samas: कर्मधारय समास की परिभाषा, भेद, पहचान तथा अंतर उदाहरण सहित

Karmadharaya samas

कर्मधारय समास किसे कहते हैं?

जिस समास में विशेषण और विशेष्य अथवा उपमान और उपमेय का योग होता हैं, उसे कर्मधारय समास (Karmadharaya samas) कहते हैं| उदाहरण-

कर्मधारय समास के भेद

कर्मधारय समास के 4 भेद होते हैं-

कर्मधारय समास की पहचान कैसे करे?

इस समास में विशेषण और विशेष्य अथवा उपमान और उपमेय का योग होता हैं| इसे कुछ उदाहरणों के माध्यम से समझा जा सकता हैं-

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं| वहां विशेषण और विशेष्य अथवा उपमान और उपमेय का योग हैं| इस तरीके से कर्मधारय समास को पहचाना जा सकता हैं|

समास की परिभाषा एवं समास के भेद उदाहरण सहित सम्पूर्ण जानकारी

कर्मधारय समास के 10 उदाहरण

कर्मधारय समास के उदाहरण-

  1. नराधम = अधम है जो नर
  2. चरणारविन्द = चरण रूपी अरविन्द
  3. नीलगगन = नीला हैं जो गगन
  4. चन्द्रमुख = चंद्र जैसा मुख
  5. गंगाजल (गंगा + जल) = गंगा नदी का जल
  6. अधमरा = आधा है जो मरा
  7. सिंहनाद (सिंह + नाद) = सिंह के समान नाद
  8. राजर्षि = जो राजा भी है और ऋषि
  9. भीनरसिंह = जो नर भी है और सिंह भी
  10. मुख-चन्द्र = मुख रूपी चन्द्रमा

परीक्षा में पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कर्मधारय समास विग्रह

निचे कर्मधारय समास के 20 से ज्यादा उदाहरण दिए गए हैं, जो अक्सर एग्जाम में पूछे जाते हैं|

सामासिक पदसमास विग्रह
वचनामृतवचनरूपी अमृत
भव-सागरभव रूपी सागर
रक्ताम्बररक्त के रंग का (लाल) जो
अम्बरकुमतिकुत्सित है जो मति
कुपुत्रकुत्सित है जो पुत्र
नीलोत्पलनीला है जो उत्पल
मृग नयनमृग के समान नयन
चन्द्र मुखचन्द्र जैसा मुख
कमलनीलकमल के समान नीला
जलगंगाजल से भरी गंगा
गर्भरत्नगर्भ में रखा रत्न
कमलनीलकमल के समान नीला
गर्भरत्नगर्भ में रखा रत्न
कमलनयनकमल के समान नयन
दुष्कर्मदूषित है जो कर्म
चरम-सीमाचरम है जो सीमा
लाल-मिर्चलाल है जो मिर्च
कृष्ण-पक्षकृष्ण (काला) है जो पक्ष
मन्द-बुद्धिमन्द जो बुद्धि
शुभागमनशुभ है जो आगमन
चरण-कमलचरण रूपी कमल
क्रोधाग्निक्रोध रूपी अग्नि
रत्नगर्भरत्नों से भरा हुआ
पुरुषोत्तमपुरुष जो है उत्तम
नीलकमलनीला है जो कमल
महापुरुषमहान् है जो पुरु
घन-श्यामघन जैसा श्याम
पीताम्बरपीत है जो अम्बर
महर्षिमहान् है जो ऋषि
तत्पुरुष समास की परिभाषा, पहचान, एवं भेद उदाहरण सहित

कुछ महत्वपूर्ण अंतर

निचे कर्मधारय समास से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण अंतर दिए गए हैं, जो की एग्जाम में पूछे जाते हैं|

कर्मधारय समास और बहुब्रीहि समास में अंतर

कर्मधारय समास और बहुब्रीहि समास में अंतर निचे दिए गए हैं-

कर्मधारय समास बहुब्रीहि समास
जिस समास में विशेषण और विशेष्य अथवा उपमान और उपमेय का योग होता हैं, वह कर्मधारय समास कहलाता हैं|समास में आये पदों को छोड़कर जब किसी अन्य पदार्थ की प्रधानता होता हैं, वह बहुब्रीहि समास कहलाता हैं|
इसमें विशेषण और विशेष्य अथवा उपमेय व उपमान का योग होता हैं|इसमें दोनों पद मिलकर अपने पदों का सामान्य अर्थ न बताकर कोई अन्य अर्थ प्रकट करते हैं|
कर्मधारय समास और बहुब्रीहि समास में अंतर

द्रिगु समास और कर्मधारय समास में अंतर

द्रिगु समास और कर्मधारय समास में अंतर निचे दिए गए हैं-

द्रिगु समासकर्मधारय समास
इसमें पहला पद ही विशेषण बन कर प्रयोग में आता हैंइसमें कोई भी पद दूसरे पद का विशेषण हो सकता हैं|
इसमें पहला पद हमेशा संख्यावाचक विशेषण होता हैं, जो दूसरे पदों की गिनती बताता हैं|इसमें एक पद का विशेषण होने पर भी संख्यावाचक कभी नहीं होता हैं|
द्रिगु समास और कर्मधारय समास में अंतर

FAQs

कर्मधारय समास क्या हैं?

जिस समास में विशेषण और विशेष्य अथवा उपमान और उपमेय का योग होता हैं, उसे कर्मधारय समास कहते हैं|

कर्मधारय समास के कितने भेद हैं?

इसके 4 भेद होते हैं- विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास, विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास, विशेषणोभयपद कर्मधारय समास और विशेष्योभयपद कर्मधारय समास|

विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास की पहचान क्या हैं?

इस समास में पहला पद विशेष्य होता हैं| जैसे- कुमारश्रमणा = कुमारी + श्रमणा (सन्यास ग्रहण की हुई)

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Author

  • मेरा नाम अविजीत है और मैं पिछले 2 सालों से ब्लॉगिंग कर रहा हूँ। मुझे शैक्षणिक और समाचार ब्लॉगों में बहुत दिलचस्पी है। मैंने Bcom accounts honours की पढ़ाई की है।

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