लिपि (Lipi) किसे कहते हैं?
लिपि शब्द का अर्थ ‘लीपना‘ या ‘पोतना‘ होता है| अतः विचारो का लिखना ही लिपि कहा जाता है| दूसरे शब्दों में- भाषा की मौखिक ध्वनिओ को लिखित रूप में अभिव्यक्त करने के लिए निश्चित किये गए चिन्हो या वर्णो की व्यवस्था को लिपि (lipi) कहते है|
हिंदी और संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है| अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन, पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी और उर्दू भाषा की फ़ारसी है|
लिपि के उदाहरण
निचे भाषा एवं उसकी लिपियों के कुछ उदाहरण दिए जा रहे है-
लिपि | भाषा | उदाहरण |
---|---|---|
देवनागरी | हिंदी | रौशनी घर जा रही है| |
देवनागरी | संस्कृत | रोश्नी गृहं गच्छति। |
देवनागरी | मराठी | रोशनी घरी जात आहे. |
देवनागरी | नेपाली | रोशनी घर जान्छिन्। |
रोमन | अंग्रेजी | Roshni is going home. |
रोमन | फ्रेंच | Roshni rentre chez lui. |
रोमन | जर्मन | Roshni geht nach Hause. |
रोमन | स्पेनिश | Roshni se va a casa. |
रोमन | इटेलियन | Roshni sta andando a casa. |
रोमन | पोलिश | Roshni wraca do domu. |
रोमन | मिजो | Roshni chu a haw dawn ta. |
गुरुमुखी | पंजाबी | ਰੋਸ਼ਨੀ ਘਰ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। |
फ़ारसी | उर्दू | روشنی گھر جا رہی ہے۔ |
रुसी | रुसी | Рошни собирается домой. |
रुसी | बुल्गेरियन | Рошни се прибира вкъщи. |
रुसी | रोमानियन | Roshni se duce acasă. |
उड़िया | उड़िया | ରୋଶନି ଘରକୁ ଯାଉଛନ୍ତି। |
बँगला | बँगला | রোশনি বাড়ি যাচ্ছে। |
लिपि का इतिहास
भाषा के माध्यम से मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर और पढ़कर अपने भावों और विचारों का आदान-प्रदान करता है। और लिपि (lipi) का अर्थ है, उच्चारित ध्वनियों को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिए निर्धारित चिह्नों या अक्षरों की प्रणाली।
सभ्यता के विकास के साथ-साथ अपने विचारों और भावनाओं को स्थायित्व प्रदान करने तथा दूर-दूर रहने वाले लोगों से संदेश और समाचारों का आदान-प्रदान करने के लिए भाषा को लिखित रूप देने की आवश्यकता महसूस की गई। परिणामस्वरूप लिपि (lipi) का आविष्कार हुआ। हिंदी और संस्कृत भाषा की लिपि ‘देवनागरी‘ है।
भाषा एवं लिपिया
विश्व की कुछ भाषाओं के नाम और उनकी लिपियाँ नीचे दी गई हैं-
भाषा | लिपियाँ |
---|---|
हिंदी, संस्कृत, मराठी, नेपाली, बोडो | देवनागरी |
अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, इटेलियन, पोलिश, मिजो | रोमन |
पंजाबी | गुरुमुखी |
उर्दू, अरबी, फ़ारसी | फ़ारसी |
रुसी, बुल्गेरियन, चेक, रोमानियन | रुसी |
असमिया | असमिया |
उड़िया | उड़िया |
बँगला | बँगला |
लिपि का विकास
मौखिक भाषा को स्थायित्व प्रदान करने के लिए भाषा का लिखित रूप में विकास हुआ| लिपि उच्चरित ध्वनिओं को लिखकर व्यक्त करने का एक ढंग है| सभ्यता के विकास के साथ साथ अपने भावो और विचारो को स्थायित्व प्रदान करने के लिए, दूर स्थित लोगो से संपर्क बनाये रखने के लिए तथा संदेशो और समाचारो के आदान- प्रदान के लिए लिपि का विकास हुआ|
अनेक लिपिया
किसी भी भाषा को एक से अधिक लिपियों में लिखा जा सकता है, तो दूसरी ओर कई भाषाओ की एक ही लिपि (lipi) हो सकती है, अर्थात एक से अधिक भाषाओ को किसी एक लिपि में लिखा जा सकता है| उदहारण के लिए हिंदी भाषा को हम देवनागरी तथा रोमन दोनों लिपियों में इस प्रकार लिख सकते है-
- देवनागरी लिपि – किट्टू स्कूल गया है|
- रोमन लिपि – Kittu school gaya hai.
इसके विपरीत हिंदी, मराठी, नेपाली, बोडो तथा संस्कृत सभी भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती है| हिंदी जिस भाषा में लिखी जाती है, उसका नाम ‘देवनागरी लिपि’ है| देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है| ब्राह्मी बहुत ही प्राचीन लिपि है, जिससे हिंदी की देवनागरी सहित गुजराती, असमिया, बँगला इत्यादि भाषाओ की लिपियों का भी विकास हुआ है|
देवनागरी लिपि बायीं से दायी ओर लिखा जाता है| यह एक मात्र ऐसी लिपि है, जिसमे स्वर तथा व्यंजन ध्वनिओ को मिलाकर लिखे जाने की व्यवस्था है| यही कारण है, कि देवनागरी लिपि अन्य लिपियों की तुलना में अधिक वैज्ञानिक लिपि है| अधिकांश भारतीय भाषाओ की लिपियाँ बायीं से दायी ओर लिखी जाती है, लेकिन केवल उर्दू जो फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है| यह दायी से बायीं ओर लिखा जाता है|
देवनागरी लिपि की विशेषताए
देवनागरी लिपि की तीन विशेषताएं निम्न है-
- इसे दायी से बायीं ओर लिखा जाता है|
- इसमें हर वर्ण का आकार समान होता है|
- ये उच्चारण के अनुरूप लिखी जाती है|
लिपि एवं भाषा में अंतर
भाषा एवं लिपि (lipi) में कई अंतर पाए जाते है-
लिपि | भाषा |
---|---|
भाषा के चिन्हो द्वारा प्रकट करने के माध्यम को लिपि कहते हैं| | भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर और पढ़कर अपनी भावनाओं और विचारों का आदान-प्रदान करता है। |
लिपि हमारे भावो को लिखने का साधन है| | भाषा बोलकर या लिखकर अपने भावो को प्रकट करने का साधन है| |
यह स्थूल होता है| | भाषा सूक्ष्म होता है| |
यह स्थाई होता है| | यह अस्थाई होता है| |
लिपि तुरंत प्रभावकारी नहीं होता है| | यह तुरंत प्रभावकारी होता है| |
लिपि का सम्बन्ध सभयता से है| | भाषा का सम्बन्ध जीवन से है| |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | FAQs
द्वितीय गुरु अंगद देव जी ने गुरुमुखी लिपि शुरू की थी|
ब्रेल लिपि को स्पर्श करके पढ़ा जाता है, जो व्यक्ति देखने में सक्षम नहीं होते वे ब्रेल लिपि का सहारा लेते है|
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