Pratyay in Hindi: प्रत्यय की परिभाषा, इसके प्रकार उदाहरण सहित एवं उपसर्ग और प्रत्यय में अंतर

Pratyay
Pratyay

प्रत्यय किसे कहते हैं? (Pratyay kise kahate hain)

प्रत्यय (Pratyay) वह शब्दांश हैं, जो किसी धातु या अन्य शब्द के अंत में जुड़कर शब्द के अर्थ को बदल देता हैं या नया शब्द बनाता हैं| प्रत्यय के उदाहरण

  1. सुगंध + इक = सुगन्धित
  2. लोहा + आर = लुहार
  3. लड़ + आका = लड़ाका
  4. पागल + पन = पागलपन
  5. होन + हार = होनहार
  6. पठ + अक = पाठक

ऊपर दिए गए उदाहरण से स्पष्ट हैं, कि ‘प्रत्यय’ (Pratyay) अन्य शब्दों में जुड़ते हैं और फिर नए नए शब्दों की रचना करते हैं| उपसर्ग और प्रत्यय में एक मैन अंतर हैं, कि उपसर्ग शब्द के शुरुआत में जुड़ते हैं, और प्रत्यय शब्द के अंत में जुड़ते हैं|

प्रत्यय का अर्थ

प्रत्यय (Pratyay) दो शब्दों से मिलकर बनता हैं- प्रति + अय| प्रति का अर्थ ‘साथ में, पर बाद में’ और अय का अर्थ ‘चलने वाला’ होता हैं| जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में बदलाव कर देते हैं| अर्थात प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता हैं| प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं, जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते हैं| कभी कभी प्रत्यय (Pratyay) लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता हैं|

प्रत्यय (Pratyay) कितने प्रकार के होते हैं?

क्रिया तथा दूसरे शब्दों से जुड़ने के आधार पर प्रत्यय (Pratyay) के दो प्रकार होते हैं| इन प्रत्यय से बने शब्द को ‘कृदंत’ एवं ‘तद्धितांत’ कहते हैं|
प्रत्यय के दो प्रकार होते हैं-

  • कृत्त प्रत्यय
  • तद्धित प्रत्यय

कृत्त प्रत्यय

क्रिया से जुड़नेवाले प्रत्यय को ‘कृत्त प्रत्यय’ कहते हैं, एवं इनसे बने शब्द को ‘कृदंत’ कहते हैं| ये प्रत्यय क्रिया को नया अर्थ देते हैं| कृत्त प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण शब्दों की रचना होती हैं| उदहारण-

  • चाट + नी = चटनी
  • लिख + अक = लेखक

कृत्त प्रत्यय के प्रकार

कृत्त प्रत्यय चार प्रकार के होते हैं-

कर्तृवाचक कृत्त प्रत्यय: जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का बोध हो, उसे कर्तृवाचक कृत्त प्रत्यय कहते हैं| उदहारण-

धातुप्रत्यय शब्दक्रिया का कर्ता
भूलअक्कड़भुलक्कड़जो भूलता हैं
उड़अंकूउड़ंकूजो उड़ता हैं
खेल आड़ीखेंलाड़ी जो खेलता हैं
लूटएरालुटेराजो लुटता हैं
कर्तृवाचक कृत्त प्रत्यय

कर्मवाचक कृत्त प्रत्यय: जिस शब्द से बनने वाले शब्दों से किसी कर्म का बोध हो, उसे कर्मवाचक कृत्त प्रत्यय कहते हैं|

धातुप्रत्ययशब्दक्रिया का कर्ता
सूँघनीसुँघनीजिसे सुँघा जाय
खेलऔनाखिलौना जिसे खेला जाय
समृअनीयस्मरणीयजिसे स्मरण किया जाय
कृत्वयकर्तव्य जिसे किया जाय
कर्मवाचक कृत्त प्रत्यय

करणवाचक कृत्त प्रत्यय: जिस प्रत्यय की वजह से बने शब्द से क्रिया के कारण का बोध होता हैं, उसे करणवाचक कृत्त प्रत्यय कहते हैं|

धातुप्रत्ययशब्दक्रिया का कर्म
झाड़झाडू जिससे झाड़ा जाय
कसऔटीकसौटी जिससे कसा जाय
रेत रेती जिससे रेता जाय
बेलबेलनजिससे बेला जाय
करणवाचक कृत्त प्रत्यय

भाववाचक कृत्त प्रत्यय: जिस प्रत्यय के जुड़ने से भाववाचक संज्ञाएँ का बोध हो, उसे भाववाचक कृत्त प्रत्यय कहते हैं|

धातुप्रत्ययशब्दक्रिया की प्रक्रिया/भाव
चढ़आईचढ़ाई चढ़ने की क्रिया/भाव
पूज आपापुजापापूजने की क्रिया /भाव
हँसहँसीहँसने की क्रिया/भाव
चिल्लआहटचिल्लाहटचिल्लाने की क्रिया/भाव
भाववाचक कृत्त प्रत्यय

तद्धित प्रत्यय

धातुओं को छोड़कर अन्य दूसरे शब्दों में जुड़नेवाले प्रत्ययों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं, एवं इनसे बने शब्द को तद्धितांत कहते हैं| कृत प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय में मूल अंतर यह हैं, कि कृत प्रत्यय सिर्फ धातुओं में लगते हैं और तद्धित प्रत्यय धातुओं को छोड़कर संज्ञा, विशेषण आदि शब्दों में लगते हैं| उदहारण-

  • राष्ट्र + ईय = राष्ट्रीय
  • पीछे + ला = पिछला

तद्धित प्रत्यय के प्रकार

तद्धित प्रत्यय को चार भागो में बटा गया हैं-

  • संज्ञा से संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय
  • विशेषण से संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय
  • संज्ञा से विशेषण बनाने वाले तद्धित प्रत्यय
  • क्रिया विशेषण से विशेषण बनाने वाले तद्धित प्रत्यय
संज्ञा से संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय

संज्ञा से संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय चार प्रकार के होते हैं-
लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय: इस प्रत्यय से छोटेपन या प्यार का बोध होता हैं| जैसे- इया, डा, री इत्यादि| उदाहरण-

शब्द (संज्ञा)प्रत्ययतद्धितांत रूप (संज्ञा)
बेटी इयाबिटिया
छता रीछतरी
मुख डामुखड़ा
रस्सा रस्सी
लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय

भाववाचक तद्धित प्रत्यय: इनसे भाववाचक संज्ञाय बनती हैं| जैसे- आई, त, त्व, स इत्यादि| उदाहरण-

शब्द (संज्ञा)प्रत्ययतद्धितांत रूप (संज्ञा)
बच्चा पनबचपन
पूजा पापूजापा
खेत खेती
मानव तामनावता
भाववाचक तद्धित प्रत्यय

पेशा या जातिवाचक तद्धित प्रत्यय: इस प्रत्यय के द्वारा जीविका चलाने का बोध होता हैं| जैसे- गर, दार, हारा, एरा इत्यादि| उदाहरण-

शब्द (संज्ञा)प्रत्ययतद्धितांत रूप (संज्ञा)
सोना आरसोनार
लिपि लिपिक
जादूगरजादूगर
चित्र एराचित्तेरा
पेशा या जातिवाचक तद्धित प्रत्यय

सम्बन्धवाचक या अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय: इस प्रत्यय से बने शब्द संतान के अर्थ में प्रयुक्त होते हैं| जैसे- आई, ई, पा इत्यादि| उदाहरण-

शब्द (संज्ञा)प्रत्ययतद्धितांत रूप (संज्ञा)
दशरथ दाशरथि
कुंती एयकौन्तेय
सम्बन्धवाचक या अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय
विशेषण से संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय

कुछ प्रत्यय ऐसे होते हैं, जो विशेषण शब्दों में लगकर भाववाचक संज्ञाएँ बनाते हैं| जैसे- आहट, त्व, पा आई इत्यादि| उदाहरण-

शब्द (विशेषण) प्रत्ययतद्धितांत रूप (संज्ञा)
अच्छा आईअच्छाई
खुशखुशी
लघु तालघुता
पीलापनपीलापन
विशेषण से संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय
संज्ञा से विशेषण बनाने वाले तद्धित प्रत्यय

संज्ञा से विशेषण बनाने वाले प्रत्यय चार प्रकार के होते हैं-
गुणवाचक तद्धित प्रत्यय: इसमें गुण, धर्म इत्यादि का बोध कराने वाले शब्द बनते हैं| जैसे- आ, ईला, इत्यादि| उदाहरण-

शब्द (संज्ञा)प्रत्ययतद्धितांत रूप (विशेषण)
गुलाब गुलाबी
नमकइननमकीन
प्यासप्यासा
काँटाइलाकँटीला
गुणवाचक तद्धित प्रत्यय

स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय: इस प्रत्यय के लगने से स्थान से संबध व्यक्ति या वस्तु का बोध होता हैं| जैसे- इया, ई, एलू इत्यादि| उदाहरण-

शब्द (संज्ञा)प्रत्ययतद्धितांत रूप (विशेषण)
घरएलूघरेलू
पटना इयापटनिया
जापानजापानी
बाजारबाजारू
स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय

रिश्ताबोधक तद्धित प्रत्यय: इन प्रत्ययों के लगने से किसी न किसी रिश्ते का बोध होता हैं| जैसे- एरा इत्यादि| उदाहरण-
शब्द(संज्ञा) प्रत्यय तद्धितांत रूप (विशेषण)

शब्द (संज्ञा)प्रत्ययतद्धितांत रूप (विशेषण)
मौसाएरामौसेरा
चाचाएराचचेरा
रिश्ताबोधक तद्धित प्रत्यय

सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय: इन प्रत्ययों के लगने से व्यक्ति या वस्तु से सम्बंधित सम्बन्ध का बोध होता हैं| जैसे- इक, आना इत्यादि| उदाहरण-
शब्द(संज्ञा) प्रत्यय तद्धितांत रूप (विशेषण)

शब्द (संज्ञा)प्रत्ययतद्धितांत रूप (विशेषण)
धर्मइकधार्मिक
मर्दआनामर्दाना
सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय
क्रिया विशेषण से विशेषण बनाने वाले तद्धित प्रत्यय

कुछ प्रत्यय क्रिया विशेषण में लगकर विशेषण भी बनाते हैं| जैसे- ला इत्यादि| उदाहरण-

शब्द (क्रिया विशेषण)प्रत्ययतद्धितांत रूप (विशेषण)
निचेलानिचला
पीछेलापिछला
क्रिया विशेषण से विशेषण बनाने वाले तद्धित प्रत्यय

प्रत्यय और उपसर्ग में क्या अंतर है?

उपसर्ग और प्रत्यय का एक मुलभुत अंतर यह होता हैं, कि उपसर्ग किसी भी शब्द के शुरुआत में जुड़ता हैं, और प्रत्यय किसी भी शब्द के अंत में जुड़ता हैं|

परीक्षा में पूछे गए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न- प्रत्यय अलग कीजिये

निचे परीक्षा में पूछे गए कुछ महत्वपूर्ण प्रत्यय के प्रत्यय के 20 उदाहरण की सूचि दी गई हैं, जिसमे शब्द में से प्रत्यय को पृथक करना हैं-

शब्दप्रत्यय
अनंतता ता
वर्षों ओं
कोमलता ता
अवकाशवाली वाली
व्यक्तिगतगत
नूपुरोंओं
कविताएँ एँ
सोचकर कर
पथरीली
बदलनी
सभ्यता ता
छुट्टियाँईयाँ
आतंकितइत
ईमानदारी
ग्रामीणईन
आगुन्तकोंओं
सम्बन्धी
स्त्रियाँ ईयाँ
पुकारकरकर
नाखुनोंओं
परीक्षा में पूछे गए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

FAQs

प्रत्यय (pratyay) की परिभाषा दो?

प्रत्यय (pratyay) उस शब्दांश को कहते हैं, जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उस शब्द के भिन्न अर्थ को प्रकट करता हैं|

प्रत्यय (pratyay) के कितने भेद होते हैं?

प्रत्यय (pratyay) के दो भेद होते हैं- कृत्त प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय|

तद्धित प्रत्यय के कितने भेद हैं|

तद्धित प्रत्यय के चार भेद हैं- संज्ञा से संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय, विशेषण से संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय, संज्ञा से विशेषण बनाने वाले तद्धित प्रत्यय, और क्रिया विशेषण से विशेषण बनाने वाले तद्धित प्रत्यय|

प्रत्यय के 10 उदाहरण दीजिये?

प्रत्यय (pratyay) के 10 उदाहरण-
हजारों- ओं
प्रमाणित- इत
फिरता- आ
नम्रता- ता
स्वदेशी- ई
हँसकर- कर
विचलित- इत
दशाओं- ओं
चौथाई- आई
मलबे- ए

यह भी जाने

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें

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