वर्ण तथा हिंदी वर्णमाला (Varn tatha hindi varnamala)
वर्ण ध्वनि की इकाई हैं, तथा वर्णमाला वर्णो के समूह को कहा जाता हैं| दोनों ही एक दूसरे से सम्बंधित होते हैं| वर्ण के बिना वर्णमाला का निर्माण नहीं हो सकता क्युकि वर्णमाला की इकाई वर्ण हैं| निचे इसका आसान शब्दो में विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया हैं|
वर्ण
वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके टुकड़े नहीं किये जा सकते हैं| दूसरे शब्दो में वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई हैं| जैसे अ, ई, व, च, आदि|
हिंदी वर्णमाला (hindi varnamala)
वर्णो के समूह को वर्णमाला कहते हैं| अर्थात वर्णमाला किसी भाषा के समस्त वर्णो के समूह को दर्शाता हैं|
हिंदी वर्णमाला के भाग
वर्णमाला को दो भागो में विभाजित किया गया हैं-
- स्वर
- व्यंजन
स्वर
वे वर्ण जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण के सहायता की आव्यशकता नहीं होती हैं, उसे स्वर कहा जाता हैं| इसके उच्चारण में केवल कंठ तथा तालु का प्रयोग होता हैं, जीभ और होठ का प्रयोग नहीं होता हैं| जैसे: अ, आ, उ, ऊ इत्यादि|
स्वर के भेद
स्वर तीन प्रकार के होते हैं-
- ह्रस्व स्वर: ह्रस्व स्वर का अर्थ हैं, जिसके उच्चारण में काफी काम समय लगे| जैसे: अ, ऊ, उ, ए इत्यादि|
- दीर्घ स्वर: जिस वर्ण के उच्चारण में ह्रस्व स्वर का दोगुना समय लगे, उसे दीर्घ स्वर कहा जाता हैं| जैसे ऐ आ ई औ ऊ ऋ इत्यादि|
- प्लुत स्वर: जिसके उच्चारण में काफी अधिक समय लगता हैं, उसे प्लुत स्वर कहते हैं| जैसे हे राम, या अल्लाह आदि|
व्यंजन
जिन वर्णो को बोलने के लिए स्वर की मदद लेनी पड़ती हैं, उसे व्यंजन कहते हैं| हर व्यंजन के उच्चारण में अ स्वर लगा होता हैं| अ के बिना व्यंजन का उच्चारण नहीं हो सकता हैं| जैसे- क, ख, ग, च, छ, द, म आदि|
व्यंजनो के भेद
व्यंजन तीन प्रकार के होते हैं-
स्पर्श व्यंजन: जिन व्यंजनो का उच्चारण करते समय जीभ मुँह के किसी भी भाग, जैसे- कंठ, तालु, मूर्धा, दांत, या फिर होठ का स्पर्श करती हैं, उसे स्पर्श व्यंजन कहते हैं| यह व्यंजन उच्चारण स्थान की अलग अलग एकता लिए हुए वर्गो में बाटे गए हैं|
ये कुल 25 व्यंजन होते हैं-
- क वर्ग – यह वर्ग कंठ का स्पर्श करता हैं|
- च वर्ग – यह वर्ग तालु को स्पर्श करता हैं|
- ट वर्ग – यह वर्ग मूर्धा का स्पर्श करता हैं|
- त वर्ग – यह वर्ग दातो को स्पर्श करता हैं|
- प वर्ग – यह वर्ग होठो का स्पर्श करता हैं|
अन्तस्थ व्यंजन: उच्चारण के समय जो व्यंजन मुख के अंदर ही रहे, उसे अन्तस्थ व्यंजन कहते हैं| इन व्यंजनों का उच्चारण स्वर तथा व्यंजन के मध्य होता हैं| जब भी इनका उच्चारण किया जाता हैं, तब जीभ मुख के किसी भी भाग को स्पर्श नहीं करती| ये व्यंजन चार होते हैं- य , र, ल, व| इनका उच्चारण जीभ, तालु, दांत, और होठ के परस्पर सटने से होता हैं| लेकिन यह पूर्ण रूप से मुख के किसी भी भाग को स्पर्श नहीं करती|
उष्म व्यंजन: जिन वर्णो के उच्चारण के समय हवा मुख के विभ्भिन भागो से टकराय और साँस में गर्मी पैदा कर दे, उन्हें उष्म व्यंजन कहते हैं| इन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु मुँह से निकलते हुए गर्म हवा निकलती हैं| ये चार व्यंजन होते हैं- श, ष, स, और ह|
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FAQs
हिंदी वर्णमाला में कितने स्वर है?
हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं?
हिंदी वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं|
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